रायपुर। एक तरफ पूरा देश कोरोना की मार झेल रहा है तो वहीं दूसरी तरफ इस महामारी के दौर में बढ़ती दवाओं के दाम भी लोगों की चिंता बढ़ा रहें है। बता दें कि छत्तीसगढ़ में महंगी होती दवाओं से बढ़ते आर्थिक बोझ अब लोगों की कमर तोड़ रही है। दवा बाजार के मुताबिक पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष दवाओं के दाम 30 फीसद तक बढ़ गए हैं। वहीं व्यापार भी 25 फीसद तक गिरने की बात कही जा रही है। हालांकि दवाओं के दाम बढ़ने से व्यापार में तो उतना असर नहीं पड़ा है। लेकिन लोगोें की जेब पर जरूर असर पड़ रहा है। दवा व्यावसायियों ने बताया कि निर्माता कंपनियां लगातार दवाओं के दमा बढ़ा रही है। इसका कारण दवा बनाने के लिए कच्चे माल का महंगा होना बताया जा रहा है।
कोरोनाकाल से पहले ज्यादातर रा-मटेरियल चीन से आयात होते थे। लेकिन इसके बाद आयात पर असर पड़ने और अन्य विकल्पों की वजह से कच्चे माल महंगे पड़ रहे। इसकी वजह से दवाओं के दाम बढ़ाए जा रहे हैं। दवाओं की कीमतों में वृद्धि से आम लोगों पर आर्थिक बोझ को देखते हुए प्रदेश दवा व्यापारी संघ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दाम पर लगाम लगाने के लिए पत्र भी लिखा है। दवाओं की बढ़ती कीमत लोगों कई दवाओं के मूल्य 30 फीसद तक बढ़ा देने से महंगाई लोगों की कमर तोड़ रही है।
बड़े संस्थान इस तरह बढ़ाते हैं दवाओं के दाम इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रदेश संयोजक वैभव शास्त्री का कहना है कि दवाओं की कीमतें लगातार बढ़ रहीं हैं। बाजार में होल सेल व्यवसायियों को 15 से 20 फीसद मार्जिन मिलता है। रिटेल में भी लगभग यही मार्जिन है। लेकिन बड़े प्राइवेट अस्पताल दवाएं सीधे कंपनी से थोक में खरीदते हैं। दवा खरीदने के दौरान कंपनी से एमआरपी मूल्य बढ़ाकर मंगाया जाता है। इससे उनकी मार्जिन 40 से 50 फीसद तक भी बढ़ जाती है।
राज्य दवा विक्रेता संघ के महासचिव अविनश अग्रवाल ने कहा कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष दवाओं की कीमतों में 30 फीसद तक वृद्धि देखी गई है। कई दवाओं के लगातार बढ़ती कीमतों से लोगों की जेब पर असर पड़ रहा है। हमनेे समस्या को लेकर प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा है। साथ ही रायपुर दवा विक्रेता संघ के अध्यक्ष विनय कृपलानी ने कहा कि दवाओं के बढ़ते दामों की मुख्य कारण कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी बताई जा रही है। ज्यादातर कच्चेमाल चीन से आयात होते थे। जो अब प्रभावित हुए हैं। महंगी दवाओं से व्यापार पर ज्यादा असर तो नहीं हुआ है।
नोट : रेट दवा व्यापारी के मुताबिक।