रायपुर: छत्तीसगढ़ में रायपुर समेत प्रदेश के बाहर कई लोगों के द्वारा नकली आयुर्वेदिक दवाओं के साइड इफेक्ट की शिकायत की गई है। कुछ लोगों के द्वारा ड्रग डिपार्टमेंट को फोन करके जानकारी दी गई है कि आयुर्वेदिक दवाओं के खाने से उन्हें कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हुई हैं। वाताहरी वटी के खाने से कई लोगों को 3 महीने के भीतर किड़नी में सूजन और अल्सर की बीमारियां हो गई हैं।

कार्रवाई में सामने आया दवाएं नकली (रायपुर)

ड्रग डिपार्टमेंट के द्वारा की गई कार्रवाही में सामने आया कि लोगों को नकली आयुर्वेदिक दवाईयां बेची जा रही थी। जिसके खाने से उन्हें कई तरह की बीमारियां हो गईं। पीड़ित लोगों के द्वारा कंपनी पर मुआवजा और कार्रवाई के लिए प्रकरण पंजीबद्ध कराने की मांग कर रहे हैं। असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर बसंत कौशिक का कहना है कि ऐसे लोग जिन्हें दवाओं का साइड इफेक्ट हुआ है वो कंपनी पर दावा कर सकते हैं।

दवाओं के नियमित सेवन से किड़नी खराब

ड्रग लैब की जांच में वाताहरी वटी में अंग्रेजी दर्द की दवा डायक्लोफिनेक 250 एमजी और साइक्लोफिन 220 एमजी मिलाई गई।  जबकि दोनों दर्द की दवाएं केवल डॉक्टरों के सुझाव पर ही सिर्फ 100 एमजी लेना है। इन दर्द की दवा को नियमित लेने पर किडनी खराब हो सकती है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक एक वटी में कुल (डायक्लोफिनेक 250 एमजी और साइक्लोफिन 220 एमजी) कुल 470 एमजी दवा मिली है। यह किसी भी मरीज के लिए बहुत ही खतरनाक साबित हो सकती है।

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बजरंग आयुर्वेद से दवा की सप्लाई 

याशिका ट्रेडिंग कंपनी चेन मार्केटिंग से वाताहरी वटी बेच रही थी जो कि बजरंग आयुर्वेदिक के सूर्यकांत बघेल के द्वारा इंदौर के चंदा आयुष से खरीदी जाती थी। बजरंग आयुर्वेदिक एजेंसी से खरीद कर याशिका ट्रेडिंग कंपनी अपने डिब्बों में पैक कर बेचती थी। याशिका ट्रेडिंग कंपनी ने ड्रग डिपार्टमेंट में कुछ दस्तावेज पेश किए हैं, जिसमें सामने आया है कि वाताहरी वटी की लैब रिपोर्ट मध्यप्रदेश इंदौर की शासकीय लैब की थी। इसी के बाद वह वटी बेचने को राजी हुआ। अधिकारियों का भी मानना है कि बजरंग आयुर्वेदिक से ही प्रदेश में वाताहरी वटी की सप्लाई हो रही थी।