नई दिल्ली। अमेरिका की तीन प्रमुख दवा निर्माता कंपनियों ने टीवी विज्ञापनों में दवाइयों की कीमत बताने के प्रस्ताव का विरोध किया है। मर्क, एली लिली, एमजेन और एक एड ट्रेड ग्रुप ने वाशिंगटन की फेडरल अदालत में दाखिल याचिका में दलील दी है कि यह नियम अमेरिकी संविधान के खिलाफ है। उनका दावा है कि 35 डॉलर प्रतिमाह की खुराक से ज्यादा कीमत की किसी भी दवा का मूल्य टीवी विज्ञापनों में बताने से कंज्यूमर गुमराह होंगे क्योंकि बीमा कंपनियां अक्सर थोक दवा की कीमत कवर करती हैं। मर्क का कहना है कि नए नियम के कारण कई मरीज इलाज न कराने का निर्णय ले सकते हैं। वे सोचेंगे कि उनके लिए इतनी अधिक कीमत चुकाना संभव नहीं होगा। जबकि मरीजों को इतना मूल्य नहीं देना पड़ता है जितना दवाओं की मूल्य सूची में रहता है। लिली का कहना है कि सरकार अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर निकल गई है। लिली इंसुलिन बनाने वाली उन तीन कंपनियों में शामिल है जिनकी मूल्य बढ़ाने के लिए जांच हो रही है। स्वास्थ्य सेवाओं के मंत्री अलेक्स अजार का कहना है कि यह फैसला दवा कंपनियों को मूल्य घटाने के लिए विवश करेगा। टीवी एड में मूल्य बताने का नियम 9 जुलाई से लागू होगा। इसे ट्रम्प सरकार के दवाइयों की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।