शुगर के लेवल को मेंटन रखने के लिए अमेरिका स्थित एमआईटी इंस्टीट्यूट के इंजीनियर्स ने एक इम्प्लांटेबल डिवाइस तैयार की है। इम्प्लांटेबल डिवाइस से टाइप-1 डायबिटीज के मरीजों को बीमारी से कुछ हद तक निजात मिल सकती है। यह डिवाइस ग्लूकोज के स्तर को सामान्य रखता है।
शुगर के मरीजों को अब इंसुलिन इंजेक्शन लेने की जरुरत नहीं
इम्प्लांटेबल डिवाइस ग्लूकोज के लेवल को सामान्य रखेगा जिससे अब शुगर के मरीजों को अलग से इंसुलिन इंजेक्शन लेने की जरुरत नहीं पड़ेगी। दरअसल, इस डिवाइस में इंसुलिन पैदा करने वाली हजारों कोशिकाएं हैं। इन कोशिकाओं को जीवित रखने के लिए डिवाइस में बिल्ट इन ऑक्सीजन जनरेटर लगाए गए हैं। जिन चूहों को डायबिटीज की बीमारी थी उन चूहों पर किए प्रयोगों में शोधकर्ताओं को सफलता हासिल हुई है।
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इस शोध से जुड़े एंडरसन ने कहा कि इंसुलिन पर निर्भर डायबिटिक मरीज इंजेक्शन के जरिए शरीर का शुगर लेवल बनाए रखने का प्रयास करता है। लेकिन उनके शरीर में हेल्दी शुगर लेवल मेंटेन नहीं रहता है। ऐसे वक्त में यह डिवाइस मददगार साबित होगी। इस डिवाइस में सेंसर लगे हुए हैं जिनकी सहायता से ऑक्सीजन लेवल को मॉनिटर किया जा सकता है।
इचिंग के इलाज के लिए कलाई और उंगली में पहना जा सकता है डिवाइस
डायबिटीज मरीजों के अतिरिक्त इचिंग के मरीजों के इलाज के लिए अमेरिका के पीट्सबर्ग स्थित कॉर्नेज मेलोन यूनिवर्सिटी ऑफ रोबोटिक्स इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने वियरबेल डिवाइस का निर्माण किया है। ये डिवाइस मानव शरीर में होने वाली इचिंग को मापने का काम करती है। इस डिवाइस को मरीज कलाई और उंगली में पहन सकते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि डॉक्टर्स को मरीज से इचने की फ्रीक्वेंसी और इंटेसिटी की जानकारी नहीं मिल पाती है। जिससे इलाज करने में परेशानी होती है। लेकिन इस डिवाइस में एक्सीलेरोमीटर लगा हुआ है। ये मीटर मरीज कितने प्रेशर से इंचिग कर रहा है पता करने के लिए उंगली को मॉनिटर करता है।