चंडीगढ़ : इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जेनेटिक इंजीनियरिंग बायोटेक्नोलॉजी दिल्ली और सनफार्मा मिलकर डेंगू की दवा तैयार कर रहे हैं। अभी तक डेंगू में सिर्फ बुखार उतारने के लिए पैरासिटामॉल दिया जाता है। अगले दो से तीन साल में डेंगू में कारगर दवा बाजार में उपलब्ध होगी।
चंडीगढ़ में आयोजित तीन दिवसीय इमटेककॉन-2017 इंटरनेशनल मीट में पहुंचे ग्लोबल हेल्थ एंड इनोवेशन (सनफार्मा) के सीनियर एडवाइजर अल्ताफ लाल ने बताया कि मेक इन इंडिया के तहत यह दवा विकसित की जा रही है। अभी दवा का क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है। लाल के मुताबिक, डेंगू का अब तक कोई इलाज नहीं था लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इलाज खोज लिया है। दवा के कारगर होने के सवाल पर लाल बोले कि क्लीनिकल ट्रायल के बाद ही कुछ ठोस बात कही जा सकेगी। फिलहाल इतना कह सकता हूं कि यह दवा डेंगू के चारों टाइप के लिए कारगर होगी। 9 से 45 साल के मरीजों पर इसका प्रभावी असर होगा।
लाल ने बताया कि मेक्सिको ने दुनिया का पहला डेंगू रोधी इंजेक्शन तैयार किया है। टीका सामान्य डेंगू के मरीजों पर 60.5 फीसदी और डेंगू के गंभीर लक्षण वाले मरीजों पर 93 फीसदी तक प्रभावी है। उनकी कंपनी भी डेंगू वैक्सीन तैयार कर रही है, जो कारगर होगी। हालांकि यह शुरुआती स्टेज पर है। इस पर रिसर्च चल रही है। इसे बच्चों के रूटीन वैक्सीनेशन में शामिल करने पर विचार चल रहा है।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, इस सीजन में डेंगू मरीजों का आंकड़ा 675 पहुंच गया है। दो दिन पहले तक डेंगू के 10 नए मामलों की पुष्टि हुई है। मलेरिया विंग के नोडल ऑफिसर डॉ. गौरव अग्रवाल ने बताया कि लोगों को जागरूक किया जा रहा है। तापमान में धीरे-धीरे कमी आएगी तो डेंगू का प्रकोप भी कम हो जाएगा।