मुंबई। प्रमुख दवा कंपनी सन फार्मा बेहतरी के लिए अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) में डिजिटल का इस्तेमाल करने पर जोर दे रही है। अमेरिका में मूल्य निर्धारण संबंधी दबाव बरकरार रहने के कारण कंपनी अपनी दक्षता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। औषधि कंपनी ने वित्त वर्ष 2019 में अपने आरएंडडी खर्च में बढ़ोतरी होने का अनुमान लगाया है क्योंकि वह कई विशेषीकृत दवाओं पर निवेश कर रही है। खर्च में इस साल भी वृद्धि हो सकती है क्योंकि कंपनी अमेरिका में तीन प्रमुख दवाओं को उतारने जा रही है जिसमें सोराइसिस की दवा (इलुम्या), आई ड्रॉप (ओटीएक्स-101) और कैंसररोधी दवा (योन्सा) शामिल हैं। इसके लिए एकमुश्त निवेश की दरकार होगी जिससे मार्जिन पर दबाव बढ़ेगा।
सन फार्मा के प्रवक्ता ने बताया कि हम एक डिजिटल सहयोगी प्लेटफॉर्म तैयार कर रहे हैं जिससे आरएंडडी उत्पादकता को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। हालांकि भारतीय औषधि कंपनियां अपने मेडिकल रिप्रजेंटेटिव को मोबाइल ऐप और टैबलेट उपलब्ध करा रही है लेकिन ग्राहकों की दृष्टिï को समझने, रोग प्रबंधन थवा आरऐंडडी में डिजिटल टूल्स का इस्तेमाल फिलहाल काफी सीमित है। परामर्श सेवा फर्म ईवाई के 2017 के अध्ययन के अनुसार 10 फीसदी से भी कम भारतीय औषधि कंपनियों के पास व्यापक डिजिटल रणनीति है और सन फार्मा आरएंडडी में डिजिटल टूल्स का इस्तेमाल करने वाली संभवत: पहली भारतीय कंपनी होगी।
कंपनी के प्रवक्ता ने इस संबंध में अधिक खुलासा किए बिना कहा कि यह परियोजना अभी लागू होने की प्रक्रिया में है। डिजिटल सहयोग प्लेटफॉर्म पर सन फार्मा के साथ काम कर रही डेलॉयट ने पूछे गए सवालों का कोई जवाब नहीं दिया। सन फार्मा ने कहा कि इलुम्या एवं अन्य विशेषीकृत दवाओं के विकास के लिए क्लीनिकल परीक्षण के कारण वित्त वर्ष 2019 में आरएंडडी खर्च बढ़ेगा। जहां तक जेनेरिक दवाओं का सवाल है तो हम अमेरिका में कारोबारी माहौल में हो रहे बदलाव के मद्देनजर कई परियोजनाओं का गंभीरतापूर्वक आकलन कर रहे हैं। साथ ही हम अपने जेनेरिक आरएंडडी खर्च को युक्तिसंगत बनाने पर भी ध्यान दे रहे हैं।
कंपनी अपने मार्जिन को बरकरार रखने के लिए लागत नियंत्रित करने के उपायों के साथ आरएंडडी खर्च को युक्तिसंगत बनाने और अधिक मार्जिन वाले उत्पादों की बिक्री पर जोर की रणनीति पर चल रही है। सन फार्मा का शेयर इस महीने के आरंभ से अब तक 16.7 फीसदी की बढ़त दर्ज कर चुका है। बिक्री में दो अंकों की वृद्धि के अनुमान और हलोल संयंत्र के लिए नियामकीय बाधाएं दूर होने से कंपनी के शेयर को बल मिला। कंपनी के शेयर में इस साल अब तक 1.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है जबकि बीएसई हेल्थकेयर सूचकांक में 3.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।