खगड़िया। एक तरफ डेंगू, और वायरल ने लोगों का जीना मोहाल कर दिया है। दिन प्रति दिन मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। तो वहीं दूसरी तरफ सरकारी अस्पतालों की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल भी खुलती हुई नजर आ रही है। बताना लाजमी है कि सदर अस्पताल से लेकर जिले के अन्य सरकारी अस्पतालों में दवाओं की कमी से मरीजों का हाल बेहाल है। अस्पताल में बुखार की सामान्य दवा पारासिटामोल से लेकर विटामिन, केल्सियम, आयरन समेत आधे दर्जन से अधिक अन्य दवाओं का स्टाक खत्म हो गया है।

खैर,स्वास्थ्य विभाग के द्वारा बेहतर चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराने के नाम पर काफी धन राशि खर्च हो रही है। विकास की कई योजनाएं प्रस्तावित हैं। लेकिन बुनियादी सुविधाओं के अभाव में मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल में लिखे पर्ची की आधे से अधिक दवा मरीजों को बाहर जाकर खरीदनी पड़ रही है। परेशानी का सबब यह कि चिकित्सक अस्पताल की पर्ची पर बाहर की दवा भी नहीं लिख सकते। डाक्टरों द्वारा लिखी दवा की पर्ची लेकर मरीज दवा काउंटर पर जाते हैं, लेकिन वहां से उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है।

अस्पताल में तैनात फार्मासिस्ट मु. फारुख की माने तो कैल्शियम और आयरन की दवाएं बहुत दिनों से अस्पताल में उपलब्ध नहीं हो पाई है। जबकि बीते दो महीने से खत्म पेरासिटामोल सितंबर माह में दो हजार टेबलेट अस्पताल को मुहैया कराया गया था। जो दो-तीन दिन में ही खत्म हो गया। जिसके बाद डिमांड करने पर एक सप्ताह पूर्व स्वास्थ्य समिति द्वारा 15 हजार पेरासिटामोल टेबलेट सदर अस्पताल को मुहैया कराया। जो अब खत्म होने के कगार पर है। वहीं उन्होंने बताया कि अस्पताल में जरूरत की लगभग दवा डाइक्लोफिनेक इंजेक्शन, एजितरोमासिन 250 और 500 एमजी, ओफ्लाक्सासिन, सी सेप्सिन, एआरवी, केवीएस, मैक्रोनाजोल, एमोक्सीन 625 एमजी स्टोर में उपलब्ध है। बीते दिनों त्योहार के कारण कार्यालय बंद रहने से दवा काउंटर पर नहीं उपलब्ध कराया जा सका।

आज दवा स्टोर खुलते ही सभी उपलब्ध दवा काउंटर को मुहैया करा दिया। सदर अस्पताल के आउटडोर में 40 से अधिक प्रकार की जीवन रक्षक दवाओं का स्टाक रहता है। सरकार द्वारा इन दवाओं की उपलब्धता को ले कर निर्देश भी दिया गया है। लेकिन वर्तमान में सदर अस्पताल में दवाएं उसकी आधी ही उपलब्ध है। जो दवाएं उपलब्ध भी है उनमें से कई का स्टाक भी बहुत कम मात्रा में है। वह भी आने वाले दिनों में समाप्त होने की कगार पर है। स्थिति ऐसी ही रही तो कई महीनों से दवाओं का टोटा झेल रहा सदर अस्पताल महज दिखावा बनकर रह जाएगा।