रांची: दवा दुकानदार और फार्मेसी स्टोर संचालकों को न केवल टीबी मरीजों का डाटा रखना अनिवार्य होगा बल्कि इसे सरकार के साथ समय-समय पर साझा करना होगा। टीबी मरीज की छह महीने की दवा पूरी हुई, यदि नहीं तो क्यों, ये सब भी दवा दुकानदार को सुनिश्चित करना होगा। औषधि निदेशालय, स्टेट टीबी सेल तथा झारखंड केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन और फार्मेसी स्टोर संचालकों ने बैठक कर इस पर चर्चा की। बता दें कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया है। जिसके तहत निजी अस्पतालों, निजी चिकित्सकों और दवा दुकानों को भी टीबी मरीजों का डाटा सरकार को उपलब्ध कराना होगा।
औषधि नियंत्रक रितू सहाय और राज्य टीबी पदाधिकारी डॉ. राजकुमार बेक ने कहा कि झारखंड में हर वर्ष करीब 36 हजार टीबी मरीजों की पहचान हो पाती है। भारत में 28 लाख लोग टीबी से प्रभावित हैं। इनमें 1400 लोगों की मौत प्रतिदिन केवल टीबी के कारण होती है। दुनिया के 25 फीसदी टीबी के मरीज भारत में है। इसे रोकने के लिए दवा दुकानदारों को डॉट प्रदाता की तरह काम करना होगा। स्वास्थ्य विभाग द्वारा तैयार किए गए फॉरमेट के मुताबिक, टीबी रोगी का रिकार्ड रखना होगा। टीबी के नोडल अधिकारी डॉ. राकेश दयाल के मुताबिक, डॉट विधि द्वारा रोगी को पहले सप्ताह में तीन दिन दवा दी जाती थी, अब प्रतिदिन की व्यवस्था है। दवा दुकानों को शेड्यूल एच वन रजिस्टर में टीबी मरीजों का रिकार्ड भरने की सलाह दी है। केमिस्ट एसोसिएशन के महासचिव अमर कुमार सिन्हा ने आश्वस्त किया कि दवा दुकानदार ईमानदारी से सरकार के इस काम में सहयोग करेंगे। संयुक्तऔषधि निदेशक सुरेंद्र प्रसाद, सुजीत कुमार, दिवाकर शर्मा ने भी बैठक में सूझाव रखे।