शिमला (हिमाचल प्रदेश)। सूबे में दो साल से सरकारी क्षेत्र की फार्मेसियों में बंद आयुर्वेदिक दवाओं का उत्पादन दोबारा शुरू होगा। सरकार ने राज्य की तीनों फार्मेसियों को आउटसोर्स करने का प्रस्ताव किया था। इसका उल्लेख बजट में किया गया था। आयुर्वेद विभाग में ढाई करोड़ रुपये का घोटाला उजागर होने के बाद सरकार ने फार्मेसियों के लिए करीब 1.56 करोड़ रुपये की जड़ी-बूटियों की सप्लाई मंगवाई है। चिकित्सा उपकरणों की खरीद से जुड़ा मामला सतर्कता जांच के लिए जाने के बाद सरकार ने बंद पड़ी फार्मेसियों को क्रियाशील किया है। पांच दिन पहले माजरा, जोगेंद्रनगर व पपरोला फार्मेसियों में जड़ी-बूटियां पहुंची हैं। इसके तहत अर्जुन छाल, तेजपत्ता, दालचीनी, कक्कड़ सिगी, दालू हरीदर्रा सहित कई दूसरी जड़ी-बूटियों की सप्लाई पहुंची है। सिरमौर जिला की माजरा फार्मेसी में कई तरह की भस्म का उत्पादन होगा। इसके अतिरिक्त हृदय रोग और गले की तकलीफ को दूर करने के लिए कफ सिरप का निर्माण होगा। जोगेंद्रनगर फार्मेसी में कई तरह की गोलियों का निर्माण शुरू होगा। पपरोला में शरीर की मालिश के लिए गुणकारी तेल बनाया जाएगा। इन दो फार्मेसियों में च्यवनप्राश भी तैयार किया जाता है। प्रदेश सरकार ने दो साल पहले सरकारी क्षेत्र की फार्मेसियों में कच्चे माल की आपूर्ति पर रोक लगा दी थी। उसके बाद इस अवधि के दौरान तीनों फार्मेसियों में किसी प्रकार का काम नहीं हो रहा था। अब माजरा फार्मेसी के लिए 40 लाख की जड़ी बूटियां पहुंची हैं। जोगेंद्रनगर व पपरोला फार्मेसी के लिए 55-55 लाख रुपये की जड़ी बूटियां आने से दवाओं का उत्पादन जल्द शुरू होगा। बाजार में बिकने वाले च्यवनप्राश और फार्मेसियों में तैयार होने वाले च्यवनप्राश की गुणवत्ता में रात-दिन का अंतर होता है। गौरतलब है कि सरकार ने बजट में प्रस्ताव किया था कि आयुर्वेद विभाग की सभी फार्मेसियों को आउटसोर्स किया जाएगा। इसके लिए रूपरेखा भी तैयार हो चुकी थी लेकिन आयुर्वेद घोटाले ने सरकार की योजना पर पानी फेर दिया।