रायपुर: आयुर्वेद, यूनानी और प्राकृतिक चिकित्सकों द्वारा मरीजों को एलोपैथी दवा देने को लेकर हमेशा खींचतान रहती है लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने नई व्यवस्था लागू कर न केवल एलोपैथी दवा देने बल्कि इंजेक्शन लगाने के अधिकारी भी इन चिकित्सकों को दिए हैं। गंभीर बीमारी में इलाज और ऑपरेशन की अनुमति फिलहाल नहीं दी गई। सरकार के इस फैसले से आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सकों में खुशी की लहर है। इसी के साथ आयुर्वेद चिकित्सकों को एलोपैथी इलाज की मान्यता देने वाला छत्तीसगढ़ देश का चौथा राज्य बन गया है। इस व्यवस्था की शुरुआत महाराष्ट्र से हुई थी। उसके बाद हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार ने मान्यता दी थी।

गौरतलब है कि करीब पांच महीने पहले झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई के चलते कुछ आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सकों के क्लिनिक सील हुए थे। नर्सिंग होम एक्ट के तहत झोलाछाप डॉक्टरों के साथ जब आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सकों पर कार्रवाई हुई तो छत्तीसगढ़ आयुर्वेद चिकित्सक महासंघ ने डटकर इसका विरोध किया। महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. शिव नारायण द्विवेदी के नेतृत्व में चिकित्सकों का दल मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से मिला। उन्हें बताया कि बीएएमएस की पढ़ाई करने के बाद आयुर्वेद चिकित्सक जिला अस्पतालों में छह माह आयुर्वेद और छह माह एलोपैथी इलाज का प्रशिक्षण लेते हैं। इस कारण आयुर्वेद चिकित्सकों को एलोपैथी दवा लिखने की मान्यता दी जाए। सुदूर इलाकों में रहने वालों लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखे हुए मुख्यमंत्री ने गहन मंथन किया। तत्पश्चात आधुनिक चिकित्सा में प्रशिक्षण प्राप्त आयुर्वेद, यूनानी और प्राकृतिक चिकित्सकों को पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी घोषित किया गया है। सरकार ने साफ किया कि झोलाछाप डॉक्टरों पर सख्ती जारी रहेगी।

हर साल तैयार होते हैं 240 चिकित्सक
रायपुर और बिलासपुर स्थित सरकारी आयुर्वेद कॉलेजों में 60-60 सीटे हैं। दुर्ग और राजनांदगांव में एक-एक निजी कॉलेज को मान्यता है, सीटें यहा भी 60-60 हैं। बैजनाथपारा रायपुर में प्रदेश का एकमात्र निजी यूनानी कॉलेज है।