नई दिल्ली। करोड़ों के नुकसान से बचाने वाले सरकारी फैसला का फार्मास्युटिकल उद्योग ने स्वागत किया है। एक्सपायर और क्षतिग्रस्त नशीली दवाओं की वापसी के लिए सरकार ने कदम उठाया है, जिससे दवा उद्योग में खुशी की लहर है।

संयुक्त सचिव औषधि, जीएसटी हिमानी भयन ने 20 औषध आधारित दवा कंपनियों के एक प्रतिनिधि संघ, भारतीय औषधि गठबंधन (आईपीए) को एक पत्र में स्पष्ट किया है कि वितरक से निर्माता को एक्सपायर हो चुके/क्षतिग्रस्त माल पर वापसी का माल, माल की वापसी के रूप में माना जाएगा, न कि आपूर्ति के रूप में और 12 प्रतिशत जीएसटी को आकर्षित नहीं करेगा। इसके साथ ही जानकारी दी गई है कि समय-सीमा समाप्त, एक्सपायर/क्षतिग्रस्त माल की वापसी के समय एक क्रेडिट नोट जारी किया जा सकता है। इसके अलावा, सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 34 के तहत क्रेडिट नोट जारी करने के लिए कोई समय सीमा नहीं है।

4 अक्टूबर 2017 को भारतीय औषधि गठबंधन के महासचिव डीजी शाह ने केन्द्रीय मंत्री अनंत कुमार को एक पत्र में कहा था कि फार्मास्युटिकल उद्योग की तिथि समाप्त(एक्सपायर) होने वाली और क्षतिग्रस्त माल के माध्यम से लगभग 3% से 5% बिक्री प्राप्त होती है। शाह ने बताया कि जीएसटी, जो सामान और सेवाओं के उपभोग पर लगाया जाता है, समय सीमा समाप्त/क्षतिग्रस्त दवाओं की वापसी पर भी लागू होती है और नष्ट किए जा रहे सामान के संबंध में कोई इनपुट टैक्स क्रेडिट स्वीकार्य नहीं है। इसलिए जीएसटी के साथ टैक्स इनवॉइस के माध्यम से निर्माताओं की तिथि की समय सीमा समाप्त/क्षतिग्रस्त दवाएं प्राप्त होती हैं। इस तरह के रिटर्न पर जीएसटी, निर्माताओं के लिए अतिरिक्त लागत बन जाते हैं।

वहीं भारतीय ड्रग्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईडीएमए) के राष्ट्रीय अध्यक्ष दीपनाथ रॉय चौधरी ने सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर बहुत भ्रम है। सरकारी स्पष्टीकरण एक बहुत ही सकारात्मक कदम है।