केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की लापरवाही सामने आयी है। बतादे कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के पास कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले और जान गंवाने वाले हेल्थ केयर स्टाफ जैसे डॉक्टर, नर्स और आशा वर्कर आदि का डेटा नहीं है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में दिए अपने लिखित बयान में कहा, ‘स्वास्थ्य राज्य का विषय है। इस तरह का डाटा केंद्रीय स्तर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय नहीं रखता है। दरअसल 155 हेल्थ केयर स्टाफ ऐसे हैं जिनकी मौत कोरोना से हुई है। इन 155 में से 64 डॉक्टर, 32 नर्सिंग स्टाफ, 14 आशा वर्कर पर 45 अन्य शामिल हैं। जब देश मे कोरोना के चलते लॉकडाउन हुआ तब 30 मार्च को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज इंश्योरेंस योजना लॉन्च की गई। यह केंद्र सरकार की योजना है और इस बीमा योजना का प्रीमियम केंद्र सरकार देती है। इस योजना के तहत ऐसे हेल्थ केयर वर्कर (कम्युनिटी हेल्थ वर्कर शामिल) जिनको कोरोना मरीज़ और उसकी देखभाल के लिए उसके संपर्क में आना पड़ सकता है और इसलिए संक्रमित होने का खतरा उनपर बना रहता है। उनको 50 लाख रुपए का इंश्योरेंस कवर मिलता है। इसमें कोरोना संक्रमण के चलते होने वाली मौत शामिल है।
इस योजना में प्राइवेट हॉस्पिटल का स्टाफ/रिटायर्ड लोग/वालंटियर/ शहरी स्थानीय निकाय/रोज़ाना दिहाड़ी वाले/ केंद्र या राज्य के अस्पतालों द्वारा आउटसोर्स किए गए स्टाफ आदि सब शामिल हैं। यह इंश्योरेंस योजना बाकी सभी इंश्योरेंस योजनाओं से ऊपर और अलग है। यह योजना केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और न्यू इंडिया एश्योरेंस चला रहे हैं। हालांकि जो ऐसे जो लोग प्रधानमंत्री गरीब कल्याण इंश्योरेंस पैकेज के तहत राहत मांग रहे हैं उनका डेटाबेस राष्ट्रीय स्तर पर रखा जा रहा है। स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा सांसद बिनॉय विस्वम के सवाल के जवाब दिया जिन्होंने पूछा था कि ‘स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री बताएं, कितने हेल्थकेअर स्टाफ़ जैसे डॉक्टर, नर्स, सपोर्ट स्टाफ, और आशा वर्कर कोरोना संक्रमित हुए और उनकी मौत हुई?’ अपने जवाब में स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने बताया कि कुल 155 हेल्थ केयर स्टाफ ऐसे हैं जिनकी मौत कोरोना से हुई और उनके परिवार वाले ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण इंश्योरेंस पैकेज’ के तहत राहत की मांग रहे हैं।