सवाईमाधोपुर। फार्मासिस्ट ने अपनी मांगें पूरी न किए जाने पर सरकार के प्रति नाराजगी जताई है। सभी फार्मासिस्ट ने सरकार के खिलाफ 50 हजार ट्वीट कर डाले हंै। सरकार ने चिकित्साकर्मिकों, चिकित्सक, नर्स यहां तक कि संविदा कंप्यूटर ऑपरेटर, सहायकों तक को कोरोना प्रोत्साहन राशि के आदेश दिए थे लेकिन फार्मासिस्ट का नाम इन आदेशों में उल्लेखित तक नहीं किया। इससे कुछ को छोडक़र पूरे प्रदेश में फार्मासिस्ट को यह राशि नहीं दी, जबकि फार्मासिस्ट सभी तरह की कोरोना ड्यूटी, आइसोलेशन वार्ड, स्क्रीनिंग, मोबाइल मेडिकल वेन, क्वारंटाइन संदिग्धों को दवा वितरण, भंडारण, चेक पोस्ट सभी जगह चिकित्सक व नर्सेज के साथ जान जोखिम में डाल कर काम कर रहे हैं। इधर, जैसे ही मामला अलवर सीएमएचओ के संज्ञान में आया तो उन्होंने फार्मासिस्ट को प्रोत्साहन राशि नहीं देने को बेहद खेदजनक बताया। इसके बाद तुरन्त प्रोत्साहन राशि देने के आदेश जारी किए लेकिन सवाईमाधोपुर सहित अन्य जिलों में यह नहीं हो सका। पिछले 35 सालों से सरकार के आवश्वासन के बावजूद फार्मासिस्ट का कैडर नहीं बन पाया। इसके लिए 4 मार्च को चिकित्सा मंत्री ने अपनी अध्यक्षता में स्वास्थ्य व वित्त सचिव के साथ समिति बनाकर इसकी जल्द बैठक कर सकारात्मक निर्णय की घोषणा की थी लेकिन आज तक कैडर समिति की बैठक नहीं हुई। इस दौरान 16 मार्च को चिकित्सा मंत्री ने सोशल मीडिया पर नर्सेज के पदनाम वाली मांग पर सरकार के संवेदनशील होने व 2 दिन में सकारात्मक घोषणा करने की बात कही, जबकि फार्मासिस्ट कैडर की मांग पर ऐसी कोई घोषणा या बात नहीं हुई। राजस्थान फार्मासिस्ट कर्मचारी संघ, सवाईमाधोपुर के अध्यक्ष खेमचंद मथुरिया ने कहा कि प्रोत्साहन राशि सहित लंबित मांगों को लेकर फार्मासिस्टों ने सरकार का ध्यान आकर्षित किया है। अलवर के बाद सवाईमाधोपुर सहित अन्य जिलों में भी फार्मासिस्ट को लाभ मिलना चाहिए।