नए कानूनों को लेकर केमिस्टों में नाराजगी, जवाब देंगे देश के 8 लाख केमिस्ट 
नई दिल्ली: देश में किस केमिस्ट ने कौन-सी दवा किस मरीज को बेची, सरकार इसका एक केंद्रीयकृत खाका तैयार कर रही है। डॉक्टर की पर्ची के बिना मनमर्जी से एंटीबायोटिक दवा की बिक्री पर रोक लगाने के लिए ऐसा किया जा रहा है।
स्वास्थ्य मंत्रालय और केंद्रीय दवा नियामक मिलकर एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तैयार कर रहे हैं जहां देश के हर केमिस्ट और दवा विके्रता को अनिवार्य तौर पर अपने आपको पंजीकृत कराना होगा। साथ ही थोक और खुदरा दवा विके्रता को विभिन्न स्रोतों से खरीदी गई दवाओं के भंडार के आंकड़े भी देने होंगे। जो दवा वे निर्माता को लौटाएंगे, उसका ब्यौरा भी देना होगा। इस प्लेटफॉर्म पर दवा कंपनियों को यह भी पंजीकरण कराना होगा कि उन्होंने वितरकों, थोक विके्रताओं आदि को कितनी और कौन-सी दवा बेची है और उसकी एक्सपायरी तारीख क्या है।
दवाओं का असर न होने की बढ़ती घटनाओं के कारण सरकार ऐसी केंद्रीयकृत व्यवस्था बना रही है जिससे पता चलेगा कि दवा किस कंपनी की है और किसने किसको किस पर्ची पर बेची। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस क्षेत्र से जुड़े सभी हिस्सेदारों को नोटिस भेजकर 15 अप्रैल तक टिप्पणी देने को कहा है। नोटिस में कहा गया है कि दवा लिखने वाले डॉक्टर की पहचान भी इस डेटाबेस से जुड़ेगी। साथ ही मरीज का प्रोफाइल भी होगा और ज्यादा जोखिम वाली दवाइयां भी इसमें शामिल होंगी। नोटिस के अनुसार ऐसी किसी भी दवा को ऑनलाइन विदेश भेजने की अनुमति नहीं होगी जिसकी आपको लत लग रही हो। सरकार ने हाल में दवाओं के प्राथमिक, द्वितीय और तृतीय पैक पर भी बार कोडिंग की व्यवस्था की है। इस बार कोडिंग वाली दवा को ही निर्यात किया जा सकता है। लेकिन देश में इस्तेमाल के लिए यह अनिवार्य नहीं है। केमिस्टों को सभी दवाओं की बिक्री का ब्यौरा समय-समय पर दर्ज करना होगा। इसमें अस्पतालों द्वारा दी जाने वाली दवा भी शामिल है। शहरी इलाकों में यह ब्योरा तुरंत देना होगा लेकिन ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों को हर 15 दिन में यह जानकारी पोर्टल में अद्यतन करनी पड़ेगी।