करॉन वायरस का खौफ जैसे-जैसे बढ़ रहा है, उससे अधिक तेजी के साथ वैज्ञानिक इसका इलाज खोजने में जुटे हैं। यही वजह है कि हर दिन कई नई जानकारियां इस वायरस के संबंध में आ रही हैं। हाल ही चाइना की राजधानी पेइचिंग में शोधकर्ताओं ने करॉन वायरस के बारे में नई जानकारी जुटाई है। शोध में सामने आया है कि यह करॉन वायरस सांपों से इंसान तक पहुंचा है। वायरस की उत्पत्ति से जुड़ी जानकारी इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण है ताकि उसका पुख्ता इलाज ढूंढा जा सके। करॉन वायरस के सांप कनेक्श की यह स्टडी जर्नल ऑफ मेडिकल वायरॉलजी में पब्लिश हुई है।
पिछले दिनों वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की तरफ से करॉन वायरस के संबंध में लोगों को सूचित किया गया था कि यह वायरस एनिमल्स से संबंधित है और मीट के होल सेल मार्केट, पोल्ट्री फर्म, सांप, चमगादड़ या फर्म एनिमल्स के जरिए ह्यूमन में आया है। इसके बाद इस वायरस का जेनेटिक डिटेल्स बेस्ड एनालिसिस किया गया। जानवरों से संबंधित अलग-अलग स्पेसीज के वायरस के साथ इसका मिलान कर इसे इंवेस्टिगेट किया गया। शोध में सामने आया कि करॉन वायरस एक पेथॉजन है। पेथॉजन एक तरह का इंफेक्शन एजेंट है, जो बीमारिया प्रड्यूस करने का काम करता है। इसे आप आम भाषा मे जर्म्स के तौर पर भी समझ सकते हैं।
ताजा शोध के बाद वैज्ञानिकों को इस बात के कई सबूत मिले की करॉन वायरस इंसानों में आने से पहले सांपों में था। यानी यह सांपों से इंसान में आया है। माना जा रहा है कि इंसानों में फैलनेवाला वायरस वायरल प्रोटीन के साथ रिकॉम्बिनेश के जरिए बना है। यह वायरल प्रोटीन वायरस को बॉडी की प्रोटीन सेल्स पर वाइंड करता है, जो इसके लिए रिसेप्टर का काम करती हैं। इससे व्यक्ति संक्रमित हो जाता है।
करॉन वायरस का संबंध स्नेक्स यानी सांपों से हो सकता है। इस बात की पूरी संभावना होने के बाद माना जा रहा है कि यह वायरस सांपों से पानी में रहनेवाले उन जीव-जंतुओं तक पहुंचा, जिन्हें हम बतौर सी-फूड इस्तेमाल करते हैं। इस वायरस के ताजा केस दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर में सामने आए और अब यह धीरे-धीरे चीन के दूसरे शहरों सहित अन्य देशों में भी फैलने लगा है।
आज करॉन वायरस को लेकर दुनियाभर के सभी देश परेशान हैं। यह वायरस भले ही चीन से शुरू हुआ हो लेकिन सी-फूड और ह्यूमन टु ह्यूमन ट्रांसफर के चलते यह रोग अलग-अलग देशों के कई लोगों को अपनी चपेट में ले चुका है। अभी तक इस वायरस का कोई पुख्ता इलाज इजात नहीं किया जा सका है। इसलिए सतर्कता ही सबसे बड़ा बचाव का तरीका है। (एएनआई इनपुट्स के साथ)