जयपुर
आपको कोई बीमारी है और आप किसी शोध संस्थान वाले अस्पताल में उपचार के लिए जाते हैं तो थोड़ा सावधान हो जाइए। वरना, हो सकता है वहां आपको जो दवा दी जा रही है, वह परीक्षण से गुजर रही हो और डॉक्टर भी आपको बिना बताए उसका परीक्षण आप पर कर रहा हो।
दरअसल, कानूनी प्रावधानों और जागरुकता में कमी का फायदा उठाते हुए कुछ बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियां भारत के छोटे और मध्यम शहरों के मरीजों को निशाना बनाकर क्लिनिकल परीक्षण के केन्द्र के रूप में इस्तेमाल कर रही है। अकेले राजधानी में हर दूसरी तीसरी गली या कॉलोनी में कोई रिसर्च सेंटर खुला है, जिसमे उपचार के साथ साथ दवा परीक्षण का कारोबार भी चल रहा है।
मरीज अनजान – दवा परीक्षण कारोबार से अधिकांश मरीज अनजान ही हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार एक दवा कंपनी ने नई दवा का परीक्षण राजस्थान के जयपुर और कोटा शहर में किया। एक अन्य कंपनी ने दवा का परीक्षण हैदराबाद और औरंगाबाद में किया। इसी तरह एक दवा का परीक्षण बतूल, भोपाल, इंदौर और बड़ोदरा में किया गया। एक अन्य दवा का परीक्षण नागपुर और पुणे में किया गया। जांच में यह भी पाया गया था कि कुछ दवाओं को पूरी दुनिया में परीक्षण की अनुमति नहीं मिली, लेकिन भारत में आसानी से इनका परीक्षण कर लिया गया।
मुआवजे का पता नहीं – नियमानुसार यदि किसी मरीज पर दवा का परीक्षण किया जाता है और उस दौरान उसकी मौत हो जाती है तो उसे मुआवजा दिया जाता है। लेकिन ज्यादातर मामलों में मरीजों को परीक्षण के बारे में बताया ही नहीं जाता कि उन पर दवा का परीक्षण हो रहा है। जबकि दवा परीक्षण से काफी संख्या में लोगों की मौत होती है, साथ ही जो बच जाते हैं उनमें से भी कई जीवनभर के लिए लाचार हो जाते हैं।
अब तक पौने दो लाख से ज्यादा परीक्षण – विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार नई दवाओं के अब तक दुनियाभर में पौने दो लाख से ज्यादा परीक्षण हो चुके हैं, इसमें से करीब 3 हजार परीक्षण भारत में हुए हैं। जानकारी के मुताबिक अकेले राजस्थान में अब तक करीब 100 दवाओं के परीक्षण किए जा चुके हैं। हालांकि, इनके कारण मौत होने और मुआवजा मिलने के मामले अभी तक इक्का-दुक्का बार ही सामने आए हैं।
समितियों का जिम्मा – हर रिसर्च इंस्टीट्यूट में इसके नियमों की पालना के लिए आचार समितियां बनाई गई है। लेकिन इनके जरिए नियमों की कितनी पालना हो रही है, इस पर भी बड़ा सवाल है।
हर वर्ग पर कारगर हो, जरूरी नहीं – विशेषज्ञों के अनुसार दवा परीक्षण कारोबार में किसी भी दवा का किसी भी क्षेत्र विशेष या वहां के लोगों पर परीक्षण किया जाए, यह भी सही नहीं है। दअरसल, विशेषज्ञों के अनुसार कोई दवा किसी वर्ग विशेष पर कारगर हो यह जरूरी नहीं।
जयपुर में रिसर्च सेंटर – सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से संबंद्ध सभी अस्पताल एसएमएस, जेके लोन, जनाना, महिला, गणगौरी, मनोरोग व श्वांस रोग। मेडिकल यूनिवर्सिटी के संघटक मेडिकल कॉलेज का संबंद्ध जयपुरिया भी अब रिसर्च सेंटर बन गया है।
एसएमएस कॉलेज के प्राचार्य एवं नियंत्रक अधिकारी का कहना है कि आचार समिति की निगरानी में सारे ट्रायल होते हैं। कमेटी मरीजों से बात भी करती है और डॉक्टरों पर भी नजर रखती है। हमारे यहां हमेशा ट्रायल चलते रहते हैं।