हम अक्सर देखते हैं कि कई बार खर्राटे लेने की समस्या के चलते लोगों को शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है। जिस कमरे में खर्राटे लेने वाला व्यक्ति सोता है, उसके आसपास कोई सोना भी पसंद नहीं करता है। लेकिन हाल ही में हुए एक नए शोध में पता चला है कि धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को खर्राटे लेने से संबंधित बीमारी हो सकती है। www.myupchar.com से जुड़े एम्स के डॉ. केएन नधीर के अनुसार, लगभग 40 फीसदी पुरुषों और 25 फीसदी महिलाओं में खर्राटों की बीमारी पाई गई है।

ये खुलासा हुआ है क्यूआईएमआर बर्गोफर मेडिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट के शोध में, जिन्होंने खर्राटे से जुड़े करीब 173 जीन्स की पहचान की है। इंस्टीट्यूट के शोध में यह भी खुलासा हुआ है कि अधिक वजन वाले, मध्यम आयु वर्ग के पुरुषों में भी खर्राटे लेने की आशंका सबसे अधिक होती है। इस रिसर्च के परिणामों को हाल ही में नेचर पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर मिग्युइल ई. रेनटेरिया ने कहा कि 173 जीन 42 मानव क्षेत्रों में पाए जाते हैं। शोधकर्ता ने कहा कि यह खर्राटों की आनुवंशिकी से संबंधित अब तक का सबसे बड़ा अध्ययन है। गौरतलब है कि नींद में खर्राटे लेने की समस्या से हर तीन में से एक व्यक्ति प्रभावित होता है।

खर्राटे लेने की समस्या का कारण
नींद में खर्राटे लेने की समस्या को मेडिकल साइंस में ‘स्लीप एप्निया’ कहा जाता है। जब व्यक्ति गहरी नींद में होता है और उस दौरान जब उसे सांस लेने में समस्या होती है तो मुंह खोलकर सांस लेना शुरू कर देता है और मुंह से सांस लेने के कारण ही खर्राटे लेने की आवाज आनी शुरू हो जाती है। कई बार लोग इस बीमारी के बारे में ज्यादा जागरुक नहीं होते हैं और ‘स्लीप एप्निया’ का इलाज नहीं कराते हैं।

स्लीप एप्निया के दो प्रकार
पहला अवरोधक स्लीप एप्निया (ओएसए) और दूसरा सेंट्रल स्लीप एप्निया। ओएसए की समस्या श्वसन तंत्र में रुकावट की वजह से होती है। यह बीमारी अक्सर अधिक वजन वाले लोगों, बड़े आकार की गर्दन वाले लोगों, बड़ी जीभ, बड़े टॉन्सिल और छोटे जबड़े वाले लोगों और एलर्जी, अस्थमा या साइनस की समस्या से पीड़ित लोगों में होती है। वहीं सेंट्रल स्लीप एप्निया में रोगी का मस्तिष्क सांस लेने के लिए श्वसन मांसपेशियों के सिग्नल देने में असफल होता है और यह ओएसए की तुलना में ज्यादा गंभीर होता है।

ऐसे होता है इलाज
www.myupchar.com से जुड़े डॉ. लक्ष्मीदत्ता शुक्ला के अनुसार, हल्दी, इलायची, लहसुन, शहद का उपयोग करने से खर्राटे कम होते हैं। वहीं पुदीने और जैतून का तेल भी फायदेमंद है।
प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर मिग्युइल ई. रेनटेरिया के मुताबिक धूम्रपान रोककर भी खर्राटे लेने से संबंधित बीमारी से बचा जा  सकता है। उन्होंने कहा कि धूम्रपान लेने वाले को श्वसन संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं, जो भविष्य में ओएसए जैसी समस्या पैदा कर सकती है।

खर्राटे लेने वाले मरीज को कोई तकलीफ तो नहीं होती है, लेकिन ये भविष्य में होने वाली बड़ी बीमारियों का संकेत जरूर दे देती है, जैसे उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा, दिल की अनियमित धड़कन, थकान, डायबिटीज, सिरदर्द आदि लक्षण शामिल है। यदि आप इस बीमारी से ग्रसित हैं तो डॉक्टर आपको पॉलिसोमोग्राम टेस्ट कराने की सलाह दे सकता है। इस टेस्ट में मरीज के सोने के पैटर्न को इलेक्ट्रॉनिक रूप में रिकॉर्ड किया जाता है और नींद के दौरान शरीर की आंतरिक गतिविधियों का अवलोकन किया जाता है। इस दौरान जो डाटा उपलब्ध  होता है उसके आधार पर ये पता लगाया जाता है कि मरीज को किस तरह का स्लीप एप्निया है।