नई दिल्ली। सिकल सेल रोग के इलाज के लिए दवा विकसित करने के लिए सरकार ने 10 करोड़ का पुरस्कार देने की घोषणा की है। बता दें कि यह बीमारी भारत की जनजातीय आबादी को विशेष तौर पर प्रभावित करती है। ‘सिकल सेल’ रोग वंशानुगत रक्त विकारों का एक समूह है और हीमोग्लोबिन को प्रभावित करता है। इससे लाल रक्त कोशिकाएं सिकल (हंसिया) के आकार की हो जाती हैं और रक्त प्रवाह को अवरुद्ध कर देती हैं। इससे स्ट्रोक, आंखों की समस्याएं और संक्रमण जैसी गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं।
केंद्रीय जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री दुर्गादास उइके ने ‘विश्व सिकल सेल दिवस’ पर कार्यक्रम के दौरान रोग के इलाज के लिए दवा विकसित करने के लिए बिरसा मुंडा पुरस्कार की स्थापना की घोषणा की। मंत्री ने कहा कि इस बीमारी के इलाज के लिए अभी केवल एक ही दवा उपलब्ध है।
वर्तमान में रोगी की शारीरिक स्थिति और बीमारी की गंभीरता के आधार पर कई विकल्पों में से उपयुक्त दवा चुनने का कोई विकल्प नहीं है। गर्भावस्था या अन्य गंभीर चिकित्सा स्थितियों में यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है। इसके चलते नयी दवा विकसित करने की तत्काल आवश्यकता है। उइके ने कहा कि चयनित प्रस्ताव को 10 करोड़ रुपये तक का वित्त पोषण किया जाएगा।