हमेशा मेनोपॉज को सिर्फ महिलाओं से जोड़कर देखा जाता है। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है कि पुरुषों के जीवन में भी यह प्रक्रिया होती है। अंतर सिर्फ इतना है कि इस बारे में अभी जागरूकता बहुत कम है। यहां जानते हैं कि पुरुषों में मेनोपॉज की प्रक्रिया किस तरह घटती है और उनके शरीर पर उसका क्या असर पड़ता है…

उम्र का है अंतर 

-महिलाओं में आमतौर पर मेनोपॉज की स्थिति 45 साल की उम्र के बाद 55 साल की उम्र से पहले आती है। मेनोपॉज की यह प्रक्रिया किसी महिला में 2 साल में पूरी हो जाती है तो किसी महिला को इसमें 10 साल भी लग सकते हैं। यह हर किसी की बॉडी पर निर्भर करता है। वहीं, पुरुषों में मेनोपॉज की स्थिति 50 से 60 साल की उम्र के बीच आती है। महिलाओं की तरह ही पुरुषों के शरीर में भी हॉर्मोनल डिसबैलंस की प्रक्रिया होने लगती है। साथ ही कैल्शियम, आयरन और विटमिन्स से भरपूर डायट की जरूरत बढ़ने लगती है।

पुरुषों में आता है यह हॉर्मोनल बदलाव

50 से 60 साल की उम्र के बीच मेनोपॉज की स्थिति से गुजर रहे पुरुषों के शरीर में एस्ट्रोजन हॉर्मोन का स्तर काफी कम हो जाता है। इससे पहले की तुलना में वे चिड़चिडे या उदास हो सकते हैं। महिलाओं की ही तरह पुरुषों के जीवन का भी यह वही दौर होता है, जब उन्हें भावनात्मक सपॉर्ट की सबसे अधिक जरूरत होती है। क्योंकि उनकी मन:स्थिति इस दौरान काफी तेजी से बदल रही होती है।

सेहत संबंधी समस्याएं
मेनोपॉज के दौरान आमतौर पर पुरुषों को जिन सेहत संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है उनमें कॉर्डियोवस्कुलर डिजीज, डायजेशन का वीक होना, मूड स्विंग्स, हड्डियां कमजोर होना और यादाश्त पर बुरा असर पड़ना जैसी दिक्कतें शामिल हैं।

इस तरह करनी चाहिए देखभाल

– 50 साल की उम्र के बाद पुरुषों को अपनी सेहत को लेकर अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत होती है। इनकी डायट में कैल्शियम सप्लीमेंट्स, आयरन और फाइबर युक्त भोजन शामिल होना चाहिए।

-कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाए रखने का काम करता है तो आयरन शरीर में ब्लड का फ्लो बनाए रखता है। इसके साथ ही यह हमारी ब्लड वेसल्स का वॉल्यूम बनाए रखने में मदद करता है। यानी रक्त धमनियों को संकरी होने से रोकता है। इससे कॉर्डियोवस्कुलर डिजीज यानी दिल की बीमारी होने का खतरा कम होता है।

-मेनोपॉज की स्थिति से गुजर रहे पुरुषों को तनाव से दूर रखने का प्रयास करना चाहिए। नहीं तो डिप्रेशन में जा सकते हैं। साथ ही इन्हें नींद ना आना यानी इंसोमनिया, यादाश्त कमजोर होना या चली जाना यानी मेमॉरी लॉस जैसी दिक्कतें भी हो सकती हैं।

-वैसे तो हमें जीवन को हर पल खुशियों के साथ ही जीना चाहिए। लेकिन एक खास उम्र के बाद महिलाओं की तरह ही पुरुषों को भी खास देखभाल की जरूरत होती है। इसे अनदेखा करने पर घातक परिणाम हो सकते हैं। इसलिए स्वस्थ रहने के लिए अच्छा भोजन करें और खुश रहें।