नोएडा : कोरोना काल के दौरान दवाओं की ब्रिक्री और मांग काफी बढ़ गई है. ऐसे में अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में मुनाफाखोरों ने बाजार में नकली दवाओं की सप्लाई शुरु कर दी है. इनके सेवन से मरीज ठीक होने के बजाय और बीमार होते जा रहे हैं.

एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर नकली दवा बनाने वालों का सबसे पसंदीदा बाजार हैं. इन दवा के ऊपर की पैकिग इतनी अच्छी होती है कि यह अच्छी दवाओं से भी आकर्षक और विश्वसनीय लगती है.

शहर में एक ही ड्रग इंस्पेक्टर हैं और जांच के लिए लैब नहीं होने से यह कारोबार औऱ अधिक फल फूल रहा है. इससे साफ है कि शहर में भारी मात्रा में नकली दवा आपूर्ति हो रही है.

मरीज दवा खरीदने पर मोटा पैसा खर्च कर रहे हैं. इन नकली दवाओं से मरीज की सेहत के साथ खिलवाड़ हो रहा है. जबकि दवा कंपनियां बिना किसी टेस्टिंग के बाजार में दवाएं बनाकर बेच रही हैं.

पिछले मार्च 2020 में औषधि विभाग ने बिना लाइसेंस के सैनिटाइजर व मास्क बनाने वाली फैकट्री का भंड़ाफोड़ किया था.

साल 2021 जून में ईकोटेक-3 कोतवाली क्षेत्र में विभाग ने 50 लाख की फेविपिरावीर टेबलेट जब्त की थी.
19 नवंबर 2021 को बादलपुर कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में करीब डेढ़ करोड़ रुपये का स्टेरायड व 50 लाख रुपये का अन्य सामान बरामद किया गया है.

बता दें कि पिछले एक वर्ष में कुल 120 निरीक्षण किए गए है. जिसमें 4 दवा के नमूने फेल हो गए. कार्रवाई करते हुए 35 मेडिकल स्टोर पर लाइसेंस निलंबन की कार्रवाई की गई है.