चंडीगढ़। अगर आप कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए बाजार से सैनिटाइजर खरीद रहे हैं तो सावधान हो जाएं। दरअसल, बाजार में बहुतायात में हैंड सैनिटाइजर मिलावटी बिक रहे हैं। इसकी गारंटी नहीं है कि जिस सैनिटाइजर का आप इस्तेमाल कर रहे हैं, वह वायरस को मारने में सक्षम है या नहीं। चंडीगढ़ स्वास्थ्य विभाग ने हाल ही में बाजार में बिक रहे सैनिटाइजर के सैंपल भरे थे। इनमें से पांच सैंपल जांच में फेल मिले हैं।
चंडीगढ़ प्रशासन अब सैनिटाइजर बनाने वाली कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने जा रहा है। इन कंपनियों को जल्द नोटिस जारी कर जवाब मांगा जाएगा। जवाब आने के बाद ही कानूनी कार्रवाई की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि चंडीगढ़ से कुल 16 सैंपल लिए गए थे, जिनमें पांच फेल पाए गए हैं। चार सैंपल में मेथेनॉल की मात्रा मानक से कम मिली है तो एक सैंपल में मेथेनॉल मिलावटी पाया गया है। साबुन सैनिटाइजर के मुकाबले ज्यादा असरदार है।

मेथेनॉल एक तरह से एल्कोहल है। सैनिटाइजर में इसकी मात्रा कम से कम 65 फीसदी होनी चाहिए लेकिन फेल होने वाले सैंपल में इसकी मात्रा तय मानक से कम मिली है। ड्रग कंट्रोलर ऑफिस इंचार्ज अमित दुग्गल का कहना है कि कंपनियों के खिलाफ नोटिस भेजे जा रहे हैं। जवाब मिलने के बाद कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी। हरियाणा में सैंपल फेल होने पर सैनिटाइजर कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई और उनके ड्रग्स लाइसेंस भी निलंबित किए गए। पीजीआई के स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ के एडिशनल प्रोफेसर प्रो. रवींद्र खैवाल ने बताया कि सैनिटाइजर की बजाय साबुन से हाथ धोना ज्यादा बेहतर है। कई शोध ने बताया है कि साबुन से 20 सेकेंड तक अच्छी तरह से हाथ धोने से कोरोना का खतरा नहीं रहता है। घर पर रहने के दौरान चार से पांच बार साबुन से 20 सेकेंड तक हाथ धोना चाहिए। सैनिटाइजर का इस्तेमाल उन स्थितियों में किया जाता है, जहां हाथ धोने की उपलब्धता कम हो। ट्रैवलिंग या अस्पताल में पेशेंट के बीच रहने पर सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना चाहिए। कोरोना वायरस से लडऩे के लिए वही सैनिटाइजर असरदार होगा, जिसमें अल्कोहल की मात्रा अधिक होगी। घरों में इस्तेमाल होने वाला