30 हजार वाले स्टेंट के पैकेट पर 80 हजार लिखा रहता है एमआरपी
नई दिल्ली: चिकित्सा उत्पाद स्टेंट की कीमत कम किए जाने के बावजूद अस्पताल मरीजों से इसके मनमाने दाम वसूल रहे हैं। भारत में बने स्टेंट की कीमत खुदरा मूल्य (एमआरपी) तीन से चार गुना ज्यादा वसूली जा रही है। 20 से 30 हजार वाले स्टेंट के पैकेट पर 70 से 80 हजार रुपए एमआरपी लिखा रहता है। ज्ञात हो कि ड्रग इल्यूटिंग स्टेंट की अधिकतम कीमत 29 हजार 600 रुपए तय की गई है। कई स्टेंट इससे भी कम दाम के हैं, लेकिन उन पर एमआरपी बहुत ज्यादा है। रेट फिक्स होने के पहले मनमाने दाम पर ये स्टेंट बेचे जा रहे थे। ये यूरोपियन यूनियन या डीसीजीआई से मान्यता प्राप्त हैं। वहीं, कंपनियां मार्केट में गुणवत्तापूर्ण स्टेंट की सप्लाई कम ही कर रही हंै। एक कॉर्डियोलॉजिस्ट के अनुसार पुराने मॉडल के स्टेंट दूसरे देशों में इस्तेमाल नहीं किए जा रहे हैं। भोपाल में लगने वाले कुल स्टेंट्स में करीब 40 फीसदी यही के होते हैं। अब इनकी सप्लाई कंपनियों ने बढ़ा दी है।
भोपाल में 50 से 60 फीसदी मरीजों को भारत में बने स्टेंट लगाए जाते हैं। ये यूरोपियन यूनियन से प्रमाणित होते हैं, लेकिन बड़ी बात यह है कि यूनियन के किसी बड़े देश फ्रांस, जर्मनी आदि की जगह अति छोटे देशों से सर्टिफिकेट लेकर स्टेंट बनाए जा रहे हैं। जेके अस्पताल के कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुब्रतो मंडल का कहना है कि यह नीतिगत मामला है। सरकार को एमआरपी तय करनी चाहिए, ताकि मनमानी वसूली न हो। कई स्टेंट्स की कीमत ज्यादा रहती है। हमारे अस्पताल में वे मूल दाम पर ही लगाते हैं।
स्टेंट के पर्याप्त भंडार
सरकार ने सभी घरेलू स्टेंट विनिर्माताओं और आयातकों के साथ बैठक कर इसकी उपलब्धता सुनिश्चित की है। बताया गया कि स्टेंट की कीमत तय होने पर उसके दाम में 85 प्रतिशत तक की कमी आने से अस्पतालों में स्टेंट की कमी की खबरें आ रही हैं। औषधि सचिव जय प्रिये प्रकाश ने कहा कि सभी स्टेंट विनिमार्ताओं, आयातकों व उनके संगठनों ने आश्वासन दिया है कि आपूर्ति में कोई कमी नहीं आने दी जाएगी। स्टेंट के पर्याप्त भंडार है। बैठक में यह भी फैसला लिया गया कि जरूरत पडऩे पर स्वास्थ्य सचिव की सहायता से संगठनों तथा अस्पतालों के निकायों के साथ अलग से बैठक बुलायी जाएगी ताकि इस बारे में अस्पतालों को भी संवेदनशील बनाया जाए।