संसद के बजट सत्र में दवाओं की महंगाई का मुद्दा उठाया गया. शून्यकाल में इस मुद्दे को उठाते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के जॉन ब्रिटास ने कहा, पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ रही हैं। जनता महंगाई से त्रस्त है।
उन्होंने कहा, 800 से अधिक दवाओं की कीमतों में अप्रत्याशित उछाल लागू होगी. उन्होंने कहा, ‘दवाओं की कीमतों में एक साथ इतनी बड़ी वृद्धि कभी नहीं की गई. सरकार को इन कीमतों को वापस लेना चाहिए.’
ब्रिटास ने कहा कि कोई भी संवेदनशील सरकार होती तो इस स्थिति से बचती लेकिन यह सरकार आम जनता के प्रति असंवेदनशीलता बरत रही है क्योंकि जरूरी दवाओं की कीमतों में सीधे 11 प्रतिशत की वृद्धि कर दी गई है.
शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी ने भी इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि पेट्रोल, डीजल से लेकर खाना तथा भोजन पकाना भी महंगा हो गया है. उन्होंने कहा, ‘अब तो महंगाई के दर्द की दवा जरूरी हो गई है. क्योंकि प्रतिदिन महंगाई बढ़ रही है.
‘उन्होंने कहा कि स्वस्थ जीवन का अधिकार हर किसी को है और दवाएं इसका अभिन्न हिस्सा है लेकिन अब लोगों के मौलिक अधिकारों का भी हनन हो रहा है. उन्होंने कहा, ‘मैं आपसे आग्रह करती हूं कि असंवेदनशील सरकार जो हर दिन महंगाई बढ़ा रही है, कम से कम जरूरी दवाओं की कीमतों से जनता को राहत दे.