कोलकाता: ‘अम्मा’ मतलब तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता ने ‘छोटे’ लोगों के लिए बड़ी योजना से दिल जीतने का जो काम किया, ठीक उसी राह पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आगे बढ़ती दिखाई दे रही हैं। 30 दिसंबर को शुरू होने वाली ‘स्वास्थ्य साथी’ जैसी बड़ी योजना में इसकी झलक दिख रही है। जलपाईगुड़ी और अलीपुरद्वार जिलों में पंजीकरण शुरू हो चुका है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के उप-निदेशक डॉ तुषार कांति पाल टीम के साथ योजना सफल बनाने में जुटे हैं।
स्वास्थ्य विभाग की मानें तो सिविक पुलिस, विलेज पुलिस, आपदा प्रबंधन विभाग, होमगार्ड, वित्त विभाग, कॉन्ट्रेक्ट कर्मियों, ग्रीन पुलिस, सिविल डिफेंस, एनवीएफ, आइसीडीएस, नगरपालिका के अंतर्गत स्वयंसहायता समूह, असंगठित श्रमिकों समेत कई विभागों के कर्मियों को स्वास्थ्य साथी योजना के तहत लाया जाएगा। योजना के तहत मिले हेल्थ कार्ड की मियाद छह महीने से एक साल होगी।
इससे हर साल डेढ़ लाख रुपये तक का इलाज सरकारी, प्राइवेट अस्पतालों और नर्सिंग होमों में मुफ्त करवा सकेंगे। कैंसर, न्यूरोसर्जरी, हृदय रोग से जुड़े ऑपरेशन, लीवर से जुड़ी बीमारियों, रक्तजनित बीमारी के इलाज में पांच लाख रुपये तक की सहायता दी जायेगी। स्वास्थ्य साथी योजना का स्मार्ट कार्ड संबंधित नगरपालिका और ग्राम पंचायतों से मिलेगा। छुट्टी के समय यातायात खर्च के लिए 200 रुपये मिलेंगे। लेकिन अस्पताल में भर्ती हुए बिना नि:शुल्क दवाओं और चिकित्सा परिसेवा का लाभ नहीं मिलेगा। इस योजना में करीब 1900 किस्म की पैकेज में शामिल बीमारियों की चिकित्सा का लाभ मिलेगा। इसमें कॉस्मेटिक सर्जरी, ड्रग व नशीले पदार्थ की वजह से अस्वस्थता, बांझपन का इलाज, हार्मोन चिकित्सा, लिंग परिवर्तन आदि को शामिल नहीं किया गया है।