जींद। हरियाणा में ‘बेटियां भी बेटों से कम नहीं, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, बेटियां नहीं बचाओगे तो बहू कहां से लाओगे’ जैसे सलोगन अब खापलैंड बांगर की धरती जींद में बड़े प्रभावी साबित हो रहे हैं। यह खापलैंड की बदलती सोच और स्वास्थ्य विभाग की सतर्कता का ही नतीजा है कि एक बार फिर लिंगानुपात में जींद जिला पूरे प्रदेश में प्रथम स्थान पर आया है। जिससे न केवल स्वास्थ्य विभाग बल्कि खाप चौधरी भी बड़े उत्साहित नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार और खापों की मिली-जुली मुहिम का असर अब साफ नज़र आ रहा है।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार जींद एक हजार लड़कों पर 961 लड़कियों ने जन्म लिया है,जो प्रदेश में प्रथम स्थान पर है, जबकि 933 लड़कियों के साथ यमुनानगर दूसरे स्थान पर है। इस वर्ष में अब तक जिला में हुए कुल 8836 जन्म में 4330 बेटियों ने जन्म लिया है और लिंगानुपात आंकड़ा एक हजार लड़कों के पीछे 961 पर जा पहुंचा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम यानि सीआरएस की रिपोर्ट के अनुसार, 6 माह से जींद जिला रेशो के मामले में प्रदेश में लगातार अव्वल आ रहा है। जबकि दादरी व सीएम सिटी करनाल सबसे फिसड्डी रहे हैं। यमुनानगर 933 तथा पानीपत 932 का रेशो लेकर क्रमशः दूसरे व तीसरे पायदान पर आए हैं।
लिंगानुपात में 868 लड़कियों के साथ चरखी दादरी सबसे अंतिम पायदान पर है। वहीँ रोहतक और सीएम सिटी करनाल की हालत भी अच्छी नहीं है। लिंगानुपात में 874 लड़कियों के साथ ये दोनों जिले भी निचले पायदान पर हैं। यह जानकारी जींद के उप सिविल सर्जन डा. पालेराम कटारिया (पीएनडीटी) ने दी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2022 में लिंगानुपात में जनवरी से अप्रैल तक जींद पूरे प्रदेश में पहले स्थान पर रहा। मई से अक्तूबर तक लगातार दूसरे स्थान पर बना रहा और नवंबर में भी जींद अपना दूसरा स्थान बनाए रखने में कामयाब रहा है। वहीं दिसंबर 2022 में जींद जिला दूसरे स्थान पर रहा। अब वर्ष 2023 में जींद जिला प्रदेशभर में पहले स्थान पर पहुंच गया है। पूरे प्रदेश का औसतन लिंगानुपात 906 है।
आपको बता दें 2020 में लिंगानुपात के मामले में जींद 12वें स्थान पर था, जिस पर विभाग ने 2021-22 में जींद जिले में 10 से अधिक केंद्रों पर पीएनडीटी एक्ट के तहत कार्रवाई की थी। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक, कम रेशो वाले गांवों की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा वर्कर, एएनएम को नोटिस जारी करते हैं। इस साल 70 से अधिक गांवों को नोटिस जारी किए जा चुके हैं। जून माह में ही सबसे कम बेटियों वाले जींद जिले के 15 गांवों को नोटिस दिए। नोटिस के माध्यम से कहा कि यहां बेटियां क्यों नहीं पैदा हो रही, कहीं गर्भ में ही तो नहीं मारा जा रहा। हर गर्भवती महिला का मासिक पूरा डेटा, चेकअप होना चाहिए।
जिला लिंगानुपात
जींद – 961
यमुनानगर – 933
पानीपत – 932
सिरसा – 929
कुरुक्षेत्र – 928
फतेहाबाद- 926
रेवाड़ी – 923
अम्बाला – 922
झज्जर – 919
पंचकूला – 914
नूंह – 910
पलवल – 909
हिसार – 908
फरीदाबाद – 904
भिवानी – 897
कैथल – 889
महेंद्रगढ़ – 888
सोनीपत – 885
गुरुग्राम – 880
रोहतक – 874
करनाल – 874
दादरी – 868
(कुल… 906 प्रदेश का लिंगानुपात )
पीएनडीटी डिप्टी सिविल सर्जन एवं नोडल अधिकारी डा. पालेराम कटारिया का कहना है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं का प्रचार प्रसार, कुआं पूजन, शिक्षा में अव्वल, खेलों में बेटियों की उपलब्धियां आने से भी अभिभावकों की सोच बदल रही है। विभाग भी पूरी तरह से प्रयासरत है। पीएनडीटी रेड, जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। दो हजार से ज्यादा आबादी वाले जिन गांवों में सेक्स रेशों कम है, वहां आंगनबाड़ी, आशा वर्कर व एएनएम को नोटिस भेजकर कारण पूछा जाता है।
गौरतलब है कि जींद जिले में कंडेला खाप, माजरा खाप,नौगामा खाप,लाठर खाप, दलाल खाप, मलिक खाप, बिनैण खाप, सिहाग खाप, पूनिया खाप समेत कई अन्य खाप पंचायतें एवं सामाजिक संस्थाएं सक्रीय हैं। जो बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के साथ दहेज प्रथा, बाल विवाह, नशा समेत विभिन्न सामाजिक बुराईयों के विरूध अलख जगाने का काम समय समय पर कर रही हैं। इससे पहले 2021 में जींद का लिंगानुपात 923 रहा था।
जबकि साल 2019 में भी जींद में लड़कों के मुकाबले लड़कियों का अनुपात काफी अच्छा दर्ज किया गया था। साल 2019 में लिंगानुपात 938 के साथ जींद जिला प्रदेश में पहले नंबर पर रहा था । बता दें कि पूर्व में साल 2015 तक खापलैंड में जन्म लेने वाली लड़कियों की तादाद लड़कों के मुकाबले साढ़े 8 सौ के करीब रही थी। जिसके बाद से खापें और विभाग लगातार बेटी बचाओं मुहिम की तरफ अग्रसर हैं। जिसके सकारात्मक नतीजे भी दिख रहे हैं।