रोहतक। हरियाणा राज्य की वर्तमान में आबादी लगभग 28,107,999 है। नियमानुसार एक लाख की आबादी पर एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र यानी सीएचसी जरूरी माना गया है। इस हिसाब से सूबे की कुल जनसंख्या के आधार पर हमारे यहां 281 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र होने चाहिए। जबकि वास्तविकता यह है कि राज्य में कुल 123 सीएचसी ही हैं। वहीं, हर सीएचसी पर एक सर्जन, एक फिजिशियन, एक शिशु रोग विशेषज्ञ, एक स्त्री रोग विशेषज्ञ और एक एनेस्थेटिस्ट नियुक्त होना भी जरूरी है। धरातल पर हम देखें तो पूरे राज्यभर में एक भी सीएचसी ऐसी नहीं है जहां ये पांचों स्पेशलिस्ट उपलब्ध हों। हरियाणा जन स्वास्थ्य अभियान के सदस्य डॉ. रणबीर सिंह का कहना है कि जब प्राथमिक और सेकंडरी स्तर की स्वास्थ्य सेवाएं ही बेहाल हैं तो प्रदेश के एकमात्र पीजीआई संस्थान रोहतक की सेवाओं का वर्क लोड बढऩा स्वाभाविक है और यह भविष्य में और अधिक बढ़ता ही जाएगा। इसके चलते चिकित्सा की गुणवत्ता पर असर पडऩा निश्चित है। डा. रणबीर का मानना है कि आज जनता, डॉक्टर और स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़े अन्य कर्मियों को ये गंभीरता से सोचने की जरूरत है कि आखिर कैसे एक वास्तविक जनपक्षीय स्वास्थ्य ढांचा हरियाणा में विकसित किया जाए। जहां तक डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए कानून की बात है तो यह मामला केवल कानूनों की जद में सुलझने वाला नहीं है। इसके लिए शासन, प्रशासन को भी पहल करनी होगी। वहीं, आम नागरिक के साथ ही चिकित्सकों को भी सोचना होगा कि आखिर भगवान का दूसरा रूप माने जाने वाले डॉक्टरों को आज कानूनी सुरक्षा की जरूरत क्यों आन पड़ी है।