अम्बाला। हरियाणा स्टेट फार्मेसी कॉउंसिल की अत्यंत महत्वपूर्ण बैठक 30 मई 2019 को होने जा रही है जिसमें कॉउंसिल के चुनावों का भी एजेंडा रखा गया है। यूं तो कॉउंसिल का कार्यकाल समाप्त हो चुका है परन्तु अभी चुनाव होना इतना आसान नहीं लग रहा। दरअसल, कॉउंसिल के अपदस्थ चेयरमैन व अन्य कई मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं जिसमें से मौजूदा सरकार द्वारा कुछ सदस्यों की सदस्यता रद्द की गई तो सदस्य भी न्यायालय की शरण में गए हुए हैं। ऐसे में कोर्ट-कचहरी में मामलों के चलते चुनाव सम्भव नही लगते क्योंकि यदि बैठक में चुनावी प्रक्रिया को घोषित कर भी दिया जाए तो राज्य में से कोई न कोई चुनावी प्रक्रिया को चुनोती दे ही देगा, ऐसी सम्भावनाओं से इनकार नही किया जा सकता। अत: संशय के बादल बरकरार हैं। दूसरी तरफ, लम्बे समय से कॉउंसिल में पेंडिंग रजिस्ट्रेशन फाइलों की स्थिति भी इतनी अच्छी नहीं। उनका निपटान नही हो पा रहा। सूत्रों की मानें तो इन फाइलों में प्रथम दृष्टया दूसरे राज्यों की फर्जी पढ़ाई के ज्यादा मामले हैं। इन्हें स्वीकृति देना जनहित में उचित नहीं (जैसा अपदस्थ चेयरमैन के पुत्र और पुत्रवधु की पढ़ाई का मामला गरमाया हुआ है) और पेंडिंग रखना भी उचित नहीं अत: आवेदकों की फाइल रद्द करें तो आवेदक कोर्ट में चला जाएगा कि मेरी पढ़ाई को कॉउंसिल नहीं मान रहा। मेरा भविष्य अंधकार में है। इस बारे एक्सपट्र्स का कहना है कि कॉउंसिल यदि किसी आवेदक का आवेदन शक के दायरे में आता है तो वेरिफिकेशन करवा सकती है कि शिक्षा देने वाले के पास छात्र-छात्रा की शिक्षा ग्रहण करने को सत्यापित करता है तो ठीक अन्यथा आवेदन रद्द किया जाए। कॉउंसिल के चुनावों में सबसे बड़ा झोल रजिस्टर्ड फार्मासिस्टों के रिकॉर्ड से सम्बन्धित है कि करीब 5000 ऐसे फार्मासिस्ट मताधिकार का उपयोग कर सकते हैं जो या तो इस दुनिया में नहीं, माइग्रेट करवा दूसरे राज्य में रजिस्ट्रेशन प्राप्त कर चुके हैं या जिन फार्मासिस्टों ने सालों से अपना प्रमाणपत्र नवीकरण ही नहीं करवाया। इसे कॉउंसिल साइट के माध्यम से तो चेतावनी दे चुकी है परन्तु कोई ठोस निर्णय अभी तक नहीं लिया। ऐसे में मृतक, माइग्रेशन प्राप्त, रद्द प्रमाणपत्र धारी भी मतदान में हिस्सा ले सकेंगे। कुछ भी हो 30 मई को मौसम में तो गर्मी का प्रकोप प्रचंड होगा ही, बैठक में और बाद में भी मुद्दों पर उबाल सम्भव लगता है। कोई भी सदस्य पत्ते खोलने को राजी नहीं लग रहा ।