दुनियाभर के लोग कोरोना वायरस महामारी का सामना कर रहे हैं। कोरोना वायरस संक्रमण सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करता है। हालांकि, बुजुर्ग लोग और उच्च रक्तचाप, मधुमेह या हृदय रोगों से पीड़ित लोगों को संक्रमण होने का अधिक खतरा होता है। इन लोगों में कोरोना वायरस से गंभीर लक्षणों का अनुभव करने के ज्यादा जोखिम भी हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन और चीन संयुक्त मिशन की रिपोर्ट के अनुसार, इन स्वास्थ्य स्थितियों वाले लोग सामान्य आबादी की तुलना में मृत्यु दर 2-3 गुना अधिक अनुभव कर रहे हैं।
www.myupchar.com से जुड़े एम्स के जुड़े डॉ. अजय मोहन का कहना है कि कोरोना वायरस से होने वाला संक्रमण एक तरह का वायरल इन्फेक्शन है जो कि मुख्य रूप से श्वसन तंत्र, नाक और गले को प्रभावित करता है। ये वायरस मुख्य रूप से निचले श्वसन तंत्र में संक्रमण, छाती में संक्रमण, ब्रोंकाइटिस या निमोनिया जैसे लक्षण पैदा करते हैं।
कोरोना वायरस हृदय को भी प्रभावित कर सकता है। इससे स्ट्रोक सरवाइवर और हृदय रोग से पीड़ित लोग संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। न केवल फेफड़े, बल्कि कोरोना वायरस सीधे हृदय को भी प्रभावित कर सकता है। इससे धमनियों में सूजन हो सकती है, जिससे धमनियों के अंदर रुकावट हो सकती है और परिणामस्वरूप दिल का दौरा पड़ सकता है।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन उन लोगों के लिए सावधानी और तैयारी की सलाह दे रहा है जिन्हें दिल की बीमारी है या जो एक स्ट्रोक से बच गए हैं। वर्तमान जानकारी के आधार पर, यह प्रतीत होता है कि कोरोनरी हृदय रोग या उच्च रक्तचाप वाले बुजुर्ग लोग संक्रमित होने और अधिक गंभीर लक्षण विकसित करने की संभावना रखते हैं। यदि उन्हें कोरोना वायरस संक्रमण होता है, तो स्ट्रोक से बचे लोगों को जोखिम बढ़ सकता है।
कोरोना वायरस तीन तरह से हृदय को संक्रमित कर सकता है। यह एक इन्फ्लेमेटरी रिएक्शन है, जो कोरोनरी धमनियों को संक्रमित कर सकती है। वायरस धमनियों की सूजन की वजह बन सकता है जो धमनियों के अंदर रुकावट पैदा कर सकता है और इसे बंद कर सकता है। इस वायरल इन्फ्लेमेशन के कारण जिन लोगों को कुछ कोरोनरी बीमारी है, वे दिल का दौरा पड़ने का अनुभव कर सकते हैं। इसके अलावा सूजन से मायोकार्डिटिस यानी हृदय की मांसपेशियों की सूजन हो सकती है, जिससे हार्ट फेल्योर हो सकता है। इस वायरल संक्रमण के कारण हृदय की सूजन से एरिथेमियास यानी दिल के रिदम की गड़बड़ी हो सकती है और अचानक हार्ट फेल हो सकता है। इसके अलावा वायरल इन्फ्लेमेशन रक्त की मोटाई और रक्त की जमावट को बढ़ा सकता है, जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है।
केवल हृदय रोगों और स्ट्रोक सरवाइवर्स ही नहीं, हर किसी को सावधानी बरतने की जरूरत है। बीमार होने से बचने के लिए पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम यह है कि हाथों को बार-बार धोना, सोशल डिस्टेंस रखना।
कार्डियोवेस्क्यूलर डिसीज और स्ट्रोक से बचकर निकले लोगों सहित ज्यादा जोखिम वाली आबादी को रूटीन चेकअप के लिए अस्पतालों में जाने से बचने की सलाह दी जाती है। एक महीने या दो महीने के लिए अतिरिक्त दवाएं रखना सही तरीका है, क्योंकि लॉकडाउन इन दवाओं को पाना मुश्किल बना सकता है। दुनियाभर के विशेषज्ञों का सुझाव है कि कोरोना वायरस स्ट्रोक होने के जोखिम को बढ़ा सकता है। यदि कोरोना वायरस से पीड़ित हैं, तो हृदय रोगों और स्ट्रोक के लक्षणों को भी देखें। www.myupchar.com से जुड़े एम्स के डॉ. नबी वली का कहना है कि स्ट्रोक के लक्षणों में चेहरे का लटकना, हाथ की कमजोरी, बोलने में कठिनाई, एक या दोनों आंखों से देखने में परेशानी, चलने में परेशानी, संतुलन न बना पाना आदि शामिल हैं। तत्काल उपचार पाने के लिए इन संकेतों को देखें।