नई दिल्ली। हेपेटाइटिस खतरनाक बिमारियों में से एक मानी जाती है। दरअसल लीवर में सूजन की समस्या को हेपेटाइटिस कहा जाता है। अगर इसका इलाज सही समय पर नहीं किया जाए तो मरीज की मौत भी हो जाती है। लोगों की इस परेशानी को ध्यान में रखते हुए मलेशिया के ड्रग फॉर निगलेक्टेड डिजीज इनीसिएटिव द्वारा इस दवा को विकसित किया गया है जिसका क्लिनिकल ट्रायल मलेशिया और थाईलैंड में चल रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनियाभर में 7.1 करोड़ लोग हेपटाइटिस सी के साथ जी रहे हैं। आपको बता दें इस बीमारी से पीड़ित लोगों के खून में वायरस प्रवेश कर जाता है और लीवर सिरोसिस का कारण बन जाता है। इस बीमारी के लिए अब तक कोई वैक्सीन नहीं बनी है। इस बीमारी से बचाव करना बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं कि इस बीमारी से बचाव कैसे करें। मसालेदार और ऑयली फूड इस बीमारी का कारण बनते हैं, इसलिए उनसे परहेज करें। हेपटाइटिस, मॉनसून के दौरान अधिक फैलता है, इसलिए इस मौसम में तैलीय, मसालेदार, मांसाहारी और भारी खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें।

सुस्ती, कमजोरी, भूख नहीं लगना, उल्टी आना इस बीमारी के लक्षण है, लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।हेपेटाइटिस में केक, पेस्ट्री, चॉकलेट्स, ऐल्कॉहॉल, डिब्बाबंद फूड्स से परहेज करें। इस बीमारी से बचना है तो हरी पत्तेदार सब्जियां, विटमिन सी युक्त फल, शाकाहारी आहार, ब्राउन राइस, पपीता, नारियल पानी, सूखे खजूर, किशमिश, बादाम और इलायची का सेवन करें। मलेशिया ने दावा किया है कि उसने हेपटाइटिस सी के लिए दुनिया में अब तक की सबसे सस्ती और प्रभावकारी दवाई का इजाद किया है।

इस दवाई से लाखों गरीब लोगों की जान बचाई जा सकती है। जल्द ही इस दवा को सस्ती कीमत पर बाजार में उतारा जाएगा। हेपटाइटिस की यह नई दवा ‘डाइरेक्ट एक्टिंग एंटीवायरल’ है जिसे मिस्र की जेनरिक दवा कंपनि फारको के साथ मिल कर विकसित किया गया है। हेपटाइटिस की दवा इससे पहले भी 2013 में अमेरिका में विकसित की जा चुकी है लेकिन वो काफी महंगी है।