नई दिल्ली। केंद्र सरकार की तरफ से प्रस्तावित होम्योपैथी सेंट्रल काउंसिल (संशोधन) एक्ट, 2018 लोकसभा में मंजूर हो गया है। देश के होम्योपैथी सेक्टर में भारी बदलाव के उद्देश्य से यह विधेयक होम्योपैथी सेंट्रल काउंसिल एक्ट, 1973 का स्थान लेगा। आयुष मंत्री श्रीपद यशो नाइक ने विधेयक पर बहस का जवाब देते हुए कहा कि यह विधेयक सिर्फ एक वर्ष के लिए बनाया जा रहा है। कोशिश होगी कि अगले वर्ष चिकित्सा के सभी विकल्पों पर एक समग्र कानून लाया जाए। वैसे विपक्ष ने भी इस कानून को पारित कराने में मदद की लेकिन जिस अंदाज में विधेयक को पेश किया गया, उसको लेकर कई सदस्यों ने गंभीर आपत्ति जताई। कई सांसदों ने इस बारे में अध्यादेश जारी करने के सरकार के फैसले की भी आलोचना की। लोकसभा ने ध्वनिमत से इस विधेयक को मंजूरी दे दी। कांग्रेस, टीएमसी और वामपंथी दलों के सांसदों ने जानना चाहा कि अध्यादेश लाने के बाद तीन सत्र हो चुके हैं। ऐसे में अब इस विधेयक को पारित कराने की क्या जरूरत पड़ी। इस पर नाइक ने कहा कि यह विधेयक होम्योपैथी कालेजों के कामकाज को दुरुस्त करेगा और वहां एडमिशन को लेकर चल रही धांधली को रोकेगा। बहरहाल, यह विधेयक केंद्र सरकार की तरफ से गठित होम्योपैथी केंद्रीय काउंसिल को कई तरह के नए अधिकार देगा। हालांकि, नए काउंसिल के गठन तक बोर्ड ऑफ गवर्नर्स इसका कामकाज देखेगा।