सोलन। जीवन रक्षक दवाओं का दुरुपयोग किए जाने पर हिमाचल प्रदेश के 10 फार्मा उद्योगों पर कार्रवाई की है। इनमें से दो उद्योगों को तुरंत प्रभाव से उत्पादन बंद किए जाने के निर्देश हैं, जबकि दो का पूरा स्टाक रुकवा दिया है। छह फार्मा उद्योगों को नोटिस जारी किए हैं। यदि ये उद्योग संतोषजनक जवाब नहीं दे पाते हैं ड्रग एंड कास्मेटिक एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।

दवा नियंत्रक विभाग की ओर से फार्मा उद्योगों की जांच के लिए पूरे प्रदेश में पांच टीम का गठन किया गया था। प्रत्येक टीम में एक दवा उप नियंत्रक व चार सहायक दवा नियंत्रक शामिल थे। टीमों ने ऊना, कांगड़ा, सोलन व सिरमौर के 53 फार्मा उद्योगों की जांच की है। जांच के दौरान 10 डद्योगों की कार्यप्रणाली व दवाओं के रिकार्ड में गड़बड़ी पाई गई है। दवा नियंत्रक नवनीत मरवाह का कहना है कि जांच चल रही है। दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।

विभाग ने सोलन व सिरमौर जिला के दो फार्मा उद्योगों में उत्पादन बंद करवा दिया है, जबकि दो उद्योगों में तैयार दवाओं का पूरा स्टाक रुकवा दिया है। जिन उद्योगों को नोटिस जारी किए हैं, उनसे एक सप्ताह में दवाओं का उत्पादन व सप्लाई से संबंधित पूरा रिकार्ड मांगा गया है। रिकार्ड की जांच के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी। दवा नियंत्रक विभाग ने फार्मा उद्योगों के लिए एसओपी भी जारी की है। एसओपी के अनुसार प्रत्येक उद्योग को दवाओं की आपूर्ति करने से पहले संबंधित जिला के दवा निरीक्षक व पुलिस अधीक्षक को ई-मेल के माध्यम से सूचना देनी होगी, ताकि यह पता लगाया जा सके कि दवाओं की कितनी आपूर्ति कहां जा रही है।

बीते माह पंजाब पुलिस ने जालंधर में लाखों की संख्या में नशीले कैप्सूल बरामद किए थे। इन कैप्सूल पर पांवटा की एक फार्मा कंपनी का नाम-पता लिखा था। पुलिस व दवा नियंत्रक विभाग की टीम ने इसके बाद इस कंपनी पर छापा भी मारा था। बद्दी की एक फार्मा कंपनी का भी इसी प्रकार का मामला सामने आया था। इसके बाद दवा नियंत्रक विभाग ने इन उद्योगों की जांच शुरू की है।