गोरखपुर। जरूरी दवाओं के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। इनमें 20 से 75 रुपये तक की बढ़ोत्तरी हुई हैं, इससे आम नागरिकों की मुसीबत बढ़ गई है। एक तरफ पोस्ट कोविड समस्याएं बड़े पैमाने पर उभरकर सामने आई हैं। ऐसे में दवाओं के दाम बढ़ने से मरीजों का खर्च बढ़ गया है, वे परेशान हैं। दुकानदारों का कहना है कि हम कुछ कर नहीं सकते। जन औषधि केंद्रों पर मेडिकल स्टोरों की अपेक्षा 50 से 90 फीसद तक सस्ती दवाएं मिलती हैं, लेकिन मार्च से ही वहां दवाएं नहीं आईं हैं। केवल एक केंद्र पर इस माह 70 हजार रुपये की दवाएं आई हैं, शेष केंद्र आर्डर भेजकर इंतजार कर रहे हैं।

जिला अस्पताल के जन औषधि केंद्र संचालक वसीउल्लाह बताते हैं कि मार्च से अब तक चार बार आर्डर भेजे जा चुके हैं, लेकिन सभी केंद्रों को पर्याप्त दवाएं नहीं मिल पा रही हैं। खासकर बुखार, एंटीबायोटिक, बीपी, शुगर व बच्चों की दवाएं खत्म हैं। ड्रग इंस्पेक्टर जय सिंह ने कहा कि ड्रग विभाग के पास दवाओं का मूल्य निर्धारण या नियंत्रण करने का अधिकार नहीं है। दवा एमआरपी से ज्यादा में बेचते मिलने पर विभाग कार्रवाई करता है। ऐसी शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

दवा विक्रेता समिति के अध्‍यक्ष योगेंद्र दूबे ने कहा कि जिस रेट में व्यापारी दवा खरीदते हैं, उसी के अनुसार उसे बेचते हैं। दाम बढ़ाने में व्यापारियों की कोई भूमिका नहीं होती। कोरोना संक्रमण काल में एमआरपी से कम कीमत में दवाएं उपलब्ध कराई गई थीं। पिछले साल एंटी फंगल दवा आइसोट्रोइन कैप्सूल की कीमत 150 रुपये थी, इस समय 273 रुपये में बिक रही है। अभी दो दिन पहले जो नया बैच आया है, कंपनियों ने उसकी कीमत 299 रुपये कर दी है। एंटीबायोटिक डाक्सीसाइक्लीन 100 एमजी की कीमत 74 रुपये थी, 92 से 95 रुपये में बिक रही है। मानसिक रोगियों की दवा एसिलाटोप्रैम 15 गोली 150 रुपये से बढ़कर 225 रुपये हो गई है। एसिडिटी की दवा पैटाप्राजोल व रेबिप्राजोल 172 रुपये से बढ़कर 195 से 210 रुपये तक पहुंच गई है।

महिलाओं के लिए हार्मोंस की दवा डुफास्टान 595 रुपये से अब बढ़कर 670 रुपये हो गई है। यही स्थिति एंटी फंगल दवाओं की भी है। लूलीकोनोजोल 10 ग्राम क्रीम 120 रुपये से बढ़कर 150 से 170 रुपये हो गई है। केटोकोनाजोल 60-65 से बढ़कर 90 से 115 रुपये हो गई है। कोरोना से उबरने के बाद बड़ी संख्या में लोग तमाम तरह की बीमारियों के शिकार हुए हैं। बरसात का मौसम होने से वायरल फीवर व चर्म रोगियों की संख्या भी बढ़ी हैं। ऐसे में एंटीबायोटिक व एंटी फंगल दवाओं की कीमत बढ़ने से मरीजों के बढ़ने से मरीजाें के सामने संकट उत्‍पन्‍न हो गया है, जबकि सरकार का साफ निर्देश है कि आमजन को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराई जाएं। बावजूद इसके कंपनियां दाम बढ़ाती जा रही हैं।