नई दिल्ली। विज्ञान एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) ने लैक्सै लाइफ साइंस प्राइवेट लिमिटेड हैदराबाद के साथ साझेदारी में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए क्लीनिकल ट्रायल में तीन भिन्न दवाओं के मिश्रण का इस्तेमाल करने की अनुमति मांगी है। क्लीनिकल ट्रायल का उद्देश्य तार्किक मिश्रण एवं एंटीवायरल पुन: प्रयोजन और तीन दवाओं के मिश्रण की सुरक्षा एवं क्षमता का निर्धारण करना है। एमयूसीओवीआइएन नाम का क्लीनिकल ट्रायल मेदांता मेडिसिटी की साझेदारी में किया जाएगा। इसमें विभिन्न आयु वर्ग के 300 रोगी शामिल होंगे। हर आयु वर्ग के 75-75 रोगी लिए जाएंगे। यह ट्रायल 17 से 21 दिनों में पूरा किया जाएगा जिसमें स्क्रीनिंग और इलाज शामिल होगा। सीएसआइआर के महानिदेशक शेखर मांडे ने कहा कि हर आयु वर्ग के रोगियों को दवा का एक सेट दिया जाएगा। इस अभ्यास में सीएसआइआर की ओर से उसके दो संस्थान भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी हैदराबाद और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटिग्रेटिव मेडिसिन, जम्मू शामिल होंगे। वहीं, दूसरी ओर ब्रिटेन में वैज्ञानिकों ने एक ऐसा सेंसर विकसित किया है जो यह बता सकता है कि दवाएं और संक्रामक एजेंट हमारी कोशिकाओं को कैसे प्रभावित करते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका प्रयोग कोरोना वायरस के लिए संभावित दवाओं की जांच करने में किया जा सकता है। वास्तविकता में यह सेंसर एक चिप पर लगी मनुष्य की कोशिका की झिल्ली है, जिसे ब्रिटेन की कैंब्रिज यूनिवॢसटी और अमेरिका की कारनेल और स्टेनफोर्ड यूनिवॢसटी के शोधकर्ताओं ने तैयार किया है। उनके मुताबिक नया उपकरण किसी भी प्रकार की कोशिका- मानवीय या पौधों की कोशिका भित्ति की भी नकल करने में सक्षम है। इस सेंसर को कोशिका झिल्ली के अभिविन्यास एवं कार्यक्षमता को संरक्षित रखते हुए चिप पर तैयार किया गया है।