नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ता जा रहा है। कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर भी उचित मेडिकल उपकरण के अभाव में कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं। पिछले दिनों नागपुर के एक डॉक्टर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर स्वास्थ्यकर्मियों के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठनके मानकों के अनुरूप सुरक्षात्मक प्राथमिक मेडिकल उपकरण और उचित बीमा की मांग की थी। हालांकि, पिछले दिनों वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया था कि कोरोना का इलाज कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों को 50 लाख रुपये का इंश्योरेंस सरकार देगी। लेकिन सुरक्षा उपकरणों की कमी अभी तक नहीं सुलझ सकी है। एक दिन पहले ही 11 सशक्त अधिकारियों के समूह की बैठक में यह बात उभरकर सामने आई कि देशभर में करीब 20 हजार से लेकर 30 हजार तक वेंटिलेटर रखरखाव या कलृपुर्जों की कमी की वजह से बेकार पड़े हुए हैं। इस आंकड़े में सरकारी और निजी दोनों तरह के अस्पताल शामिल हैं। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत की अध्यक्षता में बुधवार को अधिकारियों के अधिकार प्राप्त समूह की बैठक के दौरान यह मुद्दा निकलकर आया। बैठक में शामिल होने वालों में उद्योग चेंबर कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के एक दर्जन वरिष्ठ प्रतिनिधि भी शामिल थे। बैठक में व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) की आपूर्ति बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की गई है, जो कोरोनावायरस के प्रसार की जांच करने के लिए आवश्यक हैं। सीआईआई वेंटिलेटर निर्माताओं और सेवा कंपनियों के साथ समन्वय करेगा और उन्हें फिर से परिचालन प्रक्रिया में लाने की कोशिश करेगा। बैठक में शामिल एक सूत्र ने कहा कि हम रक्षा, ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स और बड़ी कंपनियों से संपर्क कर रहे हैं जो कॉन्ट्रैक्ट पर ऐसे उपकरणों की मैन्युफैक्चरिंग कर सकती हैं और उत्पादन स्तर को बढ़ा सकती हैं।