नई दिल्ली। हिमालया के लोगो लिव.52 का उल्लंघन करने वाली कंपनी को लागत और हर्जाने के रूप में हिमालया ग्लोबल होल्डिंग्स लिमिटेड को 30.91 लाख का भुगतान करना होगा। यह आदेश दिल्ली उच्च न्यायालय ने जारी किए हैं।

हिमालय ग्लोबल होल्डिंग्स लिमिटेड ने अपने ट्रेडमार्क और लोगो लिव.52 के उल्लंघन को रोकने और लिव-333 के उपयोग के विरुद्ध कोर्ट में याचिका दर्ज करवाई थी।

अदालत ने प्रतिवादियों पर लिव.52 चिह्न का लगातार और जानबूझकर उल्लंघन करने के कारण हर्जाना लगाया है। जानकारी अनुसार हिमालय ग्लोबल होल्डिंग्स लिमिटेड अग्रणी वैश्विक हर्बल स्वास्थ्य और व्यक्तिगत देखभाल संगठन है और प्रतिष्ठित ट्रेडमार्क हिमालया के तहत अपने प्रतिष्ठित उत्पाद लिव.52 के लिए प्रसिद्ध हैं। कंपनी के पास पंजीकृत ट्रेडमार्क और कॉपीराइट पंजीकरण भी हैं।

यह सिरप, टैबलेट और ड्रॉप्स जैसे विभिन्न रूपों में उपलब्ध है। कंपनी को अमेज़ॅन, फ्लिपकार्ट और इंडियामार्ट सहित कई ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म पर लिव-333 चिह्नों और हिमालय चिह्न से मिलते-जुलते लोगो के तहत माल की बिक्री का पता लगा। प्रतिवादी राजस्थान औषधालय प्राइवेट लिमिटेड और एक अन्य इकाई इन कथित उल्लंघनकारी वस्तुओं के निर्माता और विक्रेता पाए गए। इसके चलते हिमालय ग्लोबल ने नोटिस जारी किया, जिसमें प्रतिवादियों से उल्लंघनकारी चिह्नों का उपयोग बंद करने का अनुरोध किया गया। नोटिस के बावजूद प्रतिवादियों ने अपने उत्पादों का उपयोग जारी रखा।

हिमालया

नतीजतन हिमालय ग्लोबल ने ट्रेडमार्क उल्लंघन और पासिंग ऑफ का आरोप लगाते हुए प्रतिवादियों के खिलाफ मुकदमा दायर किया। कंपनी ने तर्क दिया कि प्रतिवादियों द्वारा लिव-333 चिह्नों और लोगो का उपयोग उनके प्रसिद्ध चिह्नों के समान ही भ्रामक था। इससे उपभोक्ताओं में भ्रम की स्थिति पैदा हुई।

प्रतिवादियों ने तर्क दिया कि उनका चिह्न विशिष्ट था और वादी के ट्रेडमार्क जैसा नहीं था। न्यायालय ने पाया कि वादी के ट्रेडमार्क लिव.52 और लिव-333 लोगो में काफी समानता है, जो उपभोक्ताओं को गुमराह कर सकता है। न्यायालय ने साक्ष्य और प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद प्रतिवादियों को ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म और अन्य वितरण चैनलों से सभी उल्लंघनकारी उत्पादों को हटाने का निर्देश दिया। इसके अतिरिक्त, न्यायालय ने वादी के पक्ष में 10,91,567 की लागत निर्धारित की। इसके अलावा, वादी को 20 लाख की क्षतिपूर्ति दी गई।