सीकर (राजस्थान)। औषधि विभाग को क्षेत्र में 32 फर्मों पर नकली व एक्सपायरी दवाएं मिलीं, इसके बावजूद ड्रग कंट्रोलर ने इनमें से मात्र एक फर्म पर ही कार्रवाई की। यह मामला मीडिया में आने के बाद से चर्चा का विषय बना हुआ है। लोगों का कहना है कि आखिर ड्रग कंट्रोलर राजाराम शर्मा पर सरकार इतनी मेहरबान क्यों है कि लगातार शिकायतों और जांच में दोषी मिलने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा को भी मामले की जानकारी है, लेकिन वे भी हस्तक्षेप नहीं कर रहे।
स्वास्थ्य विभाग की एक जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2017 में राजस्थान में 250 फर्मों पर मैसर्स न्यू मेडिसिन पॉइंट श्रीगंगानगर ने नकली दवाएं सप्लाई की। ड्रग विभाग की जांच में जोधपुर की 32 फर्म पर यह दवाएं सप्लाई होना सामने आया। 11 फर्मों पर जब्त दवाएं अवमानक भी मिली। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि ड्रग कंट्रोलर ने इन 32 फर्मों पर कार्रवाई ही नहीं की। इस मामले में सिर्फ अजोता एंटरप्राइजेज पर कार्रवाई की गई। फर्म ने इसकी शिकायत की तो ड्रग कंट्रोलर के अधिकारियों की गड़बड़ी भी सामने आई और जांच में यह भी पता चला कि फर्म पर कार्रवाई द्वेषतापूर्ण तरीके से की गई है। सरकार की जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि औषधि नियंत्रण अधिकारी की जांच में फर्म पर अनियमितता नहीं पाई गई। सवाल उठा कि 32 फर्मों पर इस प्रकार की कार्रवाई क्यों नहीं की गई? शासन सचिव की रिपोर्ट में भी लिखा गया है कि ड्रग कंट्रोलर की पूरी कार्रवाई संदेहास्पद है। लोकायुक्त के निर्देश के बाद भी मेडिकल फर्म पर झूठी कार्रवाई करने के मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई। जबकि लोकायुक्त ने राजाराम शर्मा व राकेश वर्मा के खिलाफ सीसीए नियम 16 के तहत चार्जशीट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। सरकार उन्हें लगातार बचाती रही है।