जमशेदपुर। अब फार्मासिस्ट भी क्लीनिक खोलकर फिजिशियन की तरह इलाज कर सकेंगे। फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के प्रस्ताव के बाद केंद्र सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी है। इसके लिए फार्मासिस्ट को अस्पताल के बाहर बोर्ड पर नाम, रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ ही शैक्षणिक योग्यता लिखनी होगी। इन्हें दवाएं लिखने और मरीजों का इलाज करने का अधिकार दे दिया गया है। इससे काफी हद तक झोलाछाप डॉक्टरों से मुक्ति मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
नई व्यवस्था के बाद प्रदेशभर के एक हजार रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट को इसका लाभ मिलेगा। इनमें 700 से अधिक डिग्री और डिप्लोमा और तीन सौ अनुभव आधारित फार्मासिस्ट हैं। वर्तमान में इनमें से किसी ने मेडिकल स्टोर खोल रखा है तो कोई अन्य स्थानों पर काम कर रहा है। केंद्र सरकार की शर्तों के अनुसार फार्मा क्लीनिक खोलने से पहले इन्हें एमबीबीएस डॉक्टर के साथ रहकर तीन माह तक अनुभव लेना होगा। इसके बाद इन्हें प्रैक्टिस करने और मेडिसिन लिखने का हक मिल जाएगा। फिर डॉक्टर की तरह फार्मासिस्ट भी मरीजों का इलाज कर उन्हें सलाह दे सकेंगे और चिकित्सक की तरह परामर्श शुल्क भी ले सकते हैं। इसका सबसे अधिक लाभ ग्रामीण क्षेत्रों में मिलेगा। यहां ज्यादातर झोलाछाप डॉक्टर इलाज कर रहे हैं, जिन्हें सही दवाई, लोगों का मर्ज ठीक करने की सही जानकारी नहीं होती। इधर, स्वास्थ्य विभाग की प्रदान सचिव निधि खरे ने कहा कि केंद्र सरकार से हमें पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ने पीपीआर एक्ट 2015 के तहत सभी फार्मासिस्ट को फार्मेसी क्लीनिक खोलने का अधिकार दिया है। अब वे प्राइमरी लेवल पर इलाज कर सकते हैं। इससे काफी हद तक झोलाछाप डॉक्टर से निजात मिलेगी। प्रदेश में इसे कैसे बेहतर ढंग से लागू किया जाए, इसके लिए ब्लू प्रिंट तैयार किया जा रहा है।
महाराष्ट्र, उत्तराखंड, दिल्ली, पंजाब में फार्मासिस्ट ने रजिस्ट्रेशन और दूसरी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद मरीजों का इलाज करना शुरू कर दिया है। कई ने फार्मासिस्ट रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किए हैं, जिन्हें जल्द अधिकार मिलने की उम्मीद है। पीपीआर एक्ट के तहत इनके एप्लीकेशन को मंजूरी देने पर विचार चल रहा है, जिसमें झारखंड भी शामिल है। जमशेदपुर फार्मासिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार का कहना है कि प्रदेश में आरएमए, आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, आरएमपी और इलेक्ट्रो होम्योपैथी की डिग्री के आधार पर लोग एलोपैथ की प्रैक्टिस कर रहे हैं। जबकि फार्मासिस्ट ही एमबीबीएस डॉक्टर के बाद एलोपैथी की दवाइयों की जानकारी रखते हैं। इसके बावजूद इस पर पहल नहीं हो रही थी। नया सिस्टम बनने के बाद फार्मासिस्ट संघ में खुशी का माहौल है।
इससे प्रदेशभर के एक हजार फार्मासिस्ट की बेरोजगारी दूर होगी। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को भी बेहतर इलाज की सुविधाएं मिलेंगी, जो अब तक झोलाछाप डाक्टरों से इलाज कराते आ रहे हैं। पीपीआर एक्ट 2015 के तहत फार्मा क्लीनिक खोलने के लिए बैचलर इन फॉर्मेसी (बी.फार्मा) का रजिस्ट्रेशन पीसीआई में कराना अनिवार्य है। साथ ही, किसी एमबीबीएस डॉक्टर या इससे अधिक अनुभव वाले डॉक्टर के साथ तीन महीने की प्रैक्टिस जरूरी है। पूरी प्रक्रिया से रजिस्ट्रेशन होने के बाद फार्मा क्लीनिक के बोर्ड पर रजिस्ट्रेशन नंबर लिखना अनिवार्य किया गया है। इसके साथ प्राइमरी मेडिसिन के साथ आईबी फ्लूड, इंट्रा मस्कुलर, इंट्रावीनस, सबट्यूटेनिश, इंजेक्शन भी लगा सकते हैं। क्लीनिक में दवा रखने के लिए ड्रग डिपार्टमेंट से पंजीयन कराना होगा।