पटना। राज्य में अवैध और बुनियादी सुविधाओं के बिना चल रही सभी पैथोलॉजी लैबोरेट्री दो सप्ताह के अंदर बंद करनी होंगी। ये आदेश देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ने जिन 19 जिलों की जांच में पैथोलॉजी लैबोरेट्री को अवैध पाया है, उन्हें बंद कर दिया जाए। साथ ही, शेष जिलों की जानकारी भी अगली सुनवाई पर कोर्ट में पेश करें। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा ने अदालत को बताया था कि पटना के 213 पैथोलॉजी लैब में से 58 पैथोलॉजी लैब जो मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं, उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है। राज्य के अन्य 18 जिलों में भी अवैध रूप से बिना बुनियादी सुविधाओं के चल रहे सैकड़ों पैथोलॉजी लेबोरेट्री को चिन्हित कर नोटिस किया जा चुका है।
वहीं, पूर्वी चंपारण में चल रहे 77 पैथोलॉजी लैब में से 13 अवैध पैथोलॉजी लैब को बंद किया जा चुका है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अधिवक्ता कुमार बृजनंदन ने अदालत को बताया कि एमसीआई के प्रावधानों के अनुसार केवल पैथोलॉजी के योग्यताधारी डॉक्टर के हस्ताक्षर के बाद ही कोई भी जांच रिपोर्ट जारी की जा सकती है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि सूबे के सभी जिलों में हजारों की संख्या में पैथोलॉजी लैब खुल गए हैं। इन लैबोरेट्रीज में न तो योग्य डॉक्टर हैं और न ही टेक्नीशियन। जांच रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर हमेशा संशय बना रहता है।