नई दिल्ली। आयुष्मान भारत के लाभार्थियों को सुपर स्पेशियलिटी केयर उपलब्ध कराने के मकसद से केंद्र सरकार ने दिल्ली के निजी अस्पतालों को सीधे इस योजना से जोडऩे का फैसला किया है। ये अस्पताल अब तक आयुष्मान भारत से अलग रहे हैं क्योंकि दिल्ली सरकार ने इस पहल को स्वीकृति नहीं दी है। नैशनल हेल्थ एजेंसी निजी अस्पतालों को आयुष्मान भारत से जोडऩे की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है। इनमें बड़े कॉर्पोरेट चेन भी शामिल हैं जो सुपर स्पेशियलिटी केयर उपलब्ध करा रहे हैं। लेकिन इस सुविधा का लाभ दिल्ली के पड़ोसी राज्यों के मरीजों को मिलेगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हम अपोलो और मैक्स सहित उन सभी अस्पतालों से बातचीत कर रहे हैं। वे इस योजना में शामिल होना चाहते हैं, लेकिन दिल्ली सरकार इसमें शामिल नहीं है। इन अस्पतालों को व्यवसाय में घाटा हो रहा है जो वे इस योजना के जरिए कमा सकते हैं। हमें भी उन अस्पतालों की जरूरत है क्योंकि उनके पास कई मरीज आते हैं। इसलिए, हम उस प्रक्रिया पर काम कर रहे हैं जिसके जरिए उन्हें स्कीम में शामिल किया जा सके। हालांकि, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) के तहत सिर्फ दिल्ली के बाहर के मरीजों को इन अस्पतालों में भर्ती किया जा सकेगा। इससे दिल्ली के मरीज वंचित रह जाएंगे।
बता दें कि यूपी, राजस्थान, हरियाणा, बिहार और मध्य प्रदेश के मरीज बेहतर इलाजे के लिए दिल्ली आते हैं क्योंकि कई सरकारी और निजी अस्पताल स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएं दे रहे हैं। एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स (भारत) के मुताबिक, अकेले निजी क्षेत्र में दिल्ली में 1000 से अधिक अस्पताल हैं जिनमें करीब 140 के पास 100 बेड की सुविधा है। इनमें कॉर्पोरेट अस्पताल भी शामिल हैं। दिल्ली में निजी क्षेत्र के अस्पतालों में 30,000 बिस्तर हैं। इनमें से 30 प्रतिशत का इस्तेमाल नहीं हुआ या खाली पड़े हुए हैं। एम्स, सफदरजंग हॉस्पिटल, राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल और लेडी हार्डिंग हॉस्पिटल जैसे केंद्र सरकार के अस्पतालों में 9,000 बेड हैं। दिल्ली सरकार के 39 अस्पतालों में 11,000 बेड हैं। एएचपीआई के डायरेक्टर जनरल गिरधर ज्ञानी ने कहा कि सरकार को आयुष्मान भारत को सफल बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की जरूरत है और 100 से अधिक बेड वाले अस्पातल ऐसे एडवांस स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करा सकते हैं। उल्लेखनीय है कि मोदीकेयर के नाम से चर्चित पीएमजेएवाई योजना के अंतर्गत 50 करोड़ लाभार्थियों को लाए जाने की लक्ष्य है। इसके तहत प्रत्येक परिवार को हर साल 5 लाख रुपये का कैशलेस हेल्थ बीमा उपलब्ध कराया जाएगा।