मुंबई। दवाओं की ऑनलाइन बिक्री करने वाली कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों को केंद्र सरकार से आस जगी है। उनका मानना है कि सरकार इस मामले में जल्द ही दिशा-निर्देश जारी करेगी। गौरतलब है कि देश में ई-फार्मेसी पर प्रतिबंध को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय और मद्रास उच्च न्यायालय के आदेशों में विरोधाभास के चलते अनिश्चितता का माहौल दिख रहा है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 20 दिसंबर को अपने एक आदेश के तहत ई-फार्मेसी द्वारा दवाओं की बिक्री पर प्रतिबंध को आगामी 8 जनवरी तक बढ़ा दिया है। जबकि उसी दिन मद्रास उच्च न्यायालय के एक खंडपीठ ने एकल पीठ के उस आदेश को पलट दिया, जिसके तहत दवाओं एवं कॉस्मेटिक उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगा दी गई थी। नेटमेड्स के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) प्रदीप दाधा ने बताया कि मद्रास उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि 31 जनवरी तक ई-फार्मेसी के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाएं। भारत के दवा महानियंत्रक ने संकेत दिया है कि ऐसा दो सप्ताह के अंदर किया जा सकता है। इसलिए हम सकारात्मक हैं। कोई भी निवेशक भारत में ई-फार्मेसी के लिए वृहत परिदृश्य पर गौर करेगा और वह फिलहाल काफी अच्छा है। उन्होंने कहा कि दिसंबर की बिक्री में कोई गिरावट नहीं दिखी है। कंपनी अपना विस्तार और गोदामों, डिजिटल मार्केटिंग एवं प्रौद्योगिकी पर निवेश जारी रखेगी ताकि ग्राहकों तक कम समय में दवा सप्लाई की जा सके। उन्होंने कहा कि फिलहाल महानगरों में हम अगले दिन की डिलिवरी का वादा करते हैं। लेकिन हम इसे तत्काल करना चाहते हैं। दाघा ने बताया कि नेटमेड्स कोई छंटनी नहीं करेगी और वह प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष तौर पर 1,000 लोगों को रोजगार दे रही है। वहीं, अन्य कंपनियों का कहना है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के बाद थोड़ी चिंता बढ़ गई थी, लेकिन मद्रास उच्च न्यायालय ने राहत दी है। एमजी के सह-संस्थापक एवं सीईओ प्रशांत टंडन ने कहा कि मद्रास उच्च न्यायालय के खंडपीठ के आदेश से थोड़ी राहत मिली है। हमारी रफ्तार बरकरार है और निवेश जारी रहेगा। फिलहाल हम 1,050 शहरों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वर्ष 2019 के अंत तक हमने 2,000 शहरों तक अपना विस्तार करने की योजना बनाई है। डिस्पेंसिंग मशीन के साथ-साथ कंपनी परामर्श एवं नैदानिक सेवाएं भी मुहैया कराती है। उन्होंने कहा कि अब हम आयुर्वेदिक एवं होम्योपैथी दवाओं की पेशकश भी करना चाहते हैं। घरेलू फार्मास्युटिकल बाजार का आकार फिलहाल करीब 1.25 लाख करोड़ रुपए है। इसमें ई-फार्मेसी का हिस्सा बेहद मामूली है। उनकी कुल सालाना बिक्री 15 से 20 अरब रुपए होने का अनुमान है। हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि इन कंपनियों को सतर्क रुख अपनाना चाहिए। लॉ फर्म खेतान एंड कंपनी के पार्टनर अतुल पांडेय ने कहा कि कानूनी घटनाक्रम निश्चित तौर पर निवेशकों को सतर्क रुख अपनाने के लिए प्रेरित करेगा। ई-फार्मेसी के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जा सकते हैं, इसलिए निवेशक को अभी कुछ समय तक इंतजार कर सकते हैं।