जयपुर। मोतियाबिंद के मरीज आंखों में इस्तेमाल होने वाले लेंस के लिए राज्य के अस्पतालों में मनमानी कीमत चुकाने को मजबूर हैं। निर्माण कंपनी से अमूमन 150-500 रुपए तक मिलने वाले लेंस के लिए मरीजों से 3 से 8 हजार रुपए तक लिए जाते हैं। एक अनुमान अनुसार राज्य में प्रतिदिन 1500-2000 तक मरीजों के ऑपरेशन कर लेंस लगाए जा रहे हैं। अगर केंद्र सरकार स्टेंट की तरह आंखों के लेंस की भी कीमत तय कर दे तो लाखों मरीजों को फायदा मिल सकता है। लेंस का आवश्यक दवा सूची में शामिल नहीं होना इसमें बाधक है।
इस संबंध में जगन्नाथ गुप्ता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज कोलकाता के डॉ. तेजीन्द्र सिंह अहलूवालिया का कहना है कि इन्ट्रा ऑकुलर लेंस की कीमत तय होने के बाद लेजर तकनीक में इस्तेमाल करने में दिक्कत आएगी। इसकी कीमत कम करते ही क्वालिटी पर असर पड़ेगा। काबरा अस्पताल जयपुर के सीनियर डॉ. जे.पी.काबरा का कहना है कि सरकार स्टेंट की तरह लेंस की कीमत भी तय करे, लेकिन उससे पहले अस्पताल की जांच से लेकर ऑपरेशन तक होने वाले खर्चों को ध्यान में रखे।