देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि एलोपैथिक व आयुर्वेदिक दवाओं के लाइसेंस के लिए राज्य में जल्द ही सिंगल विंडो सिस्टम की सुविधा मिलेगी। स्वास्थ्य महानिदेशालय में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते मुख्यमंत्री रावत ने बताया कि इस व्यवस्था के तहत होम्योपैथिक दवाओं को शामिल करने पर भी विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में 300 औषधि निर्माता फर्म व 150 कॉस्मेटिक आइटम निर्माता फर्म हैं। वहीं, देश में 20 प्रतिशत आयुर्वेदिक दवाओं का निर्यात उत्तराखंड करता है। ऐसे में फार्मा इंडस्ट्री के लिए व्यवस्थाएं सुगम बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। फार्मा इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों द्वारा रखी गई समस्याओं के निस्तारण के लिए जल्द मुख्य सचिव की अध्यक्षा में बैठक भी की जाएगी।
सीएम ने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को और अधिक व्यापक एवं सुविधाजनक बनाने के लिए संगठित एवं समन्वित प्रयासों की जरूरत है। उन्होंने निजी क्षेत्र की सहभागिता पर जोर देते हुए कहा कि ‘मेरा सामाजिक दायित्व’ के तहत विशेषज्ञ चिकित्सक प्रत्येक माह 2-3 दिन दुर्गम क्षेत्रों में जाकर अपनी सेवाएं दें। इससे बड़े अस्पतालों का वर्कलोड कम होगा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार भी आएगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि चमोली के पीपलकोटी व रुद्रप्रयाग के गुप्तकाशी में विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा इस तरह की सेवाएं दी जा रही हैं। यदि निजी क्षेत्र पहल करे तो सरकार भी उन्हें हर तरह से सहयोग देने को तैयार है। दुरुह पर्वतीय क्षेत्रों के लिए उन्हें हेली सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने निजी क्षेत्र के विशेषज्ञ डॉक्टरों की मदद से जिला मुख्यालयों में स्वास्थ्य शिविर आयोजित करने की भी बात की।