मुंबई। ठाणे क्राइम ब्रांच ने फर्जी फार्मासिस्टों के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है। दसवीं और बारहवीं के फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर डी-फार्मा की डिग्री बनवाकर मेडिकल की दुकान चलाने वाले फार्मासिस्ट अब बख्शे नहीं जाएंगे। क्राइम ब्रांच ने इनकी सूची तैयार कर फार्मासिस्ट काउंसिल के पास भेज दी है, ताकि उनकी असलियत जान सकें।
गौरतलब है कि क्राइम ब्रांच ने पिछले महीने नीट इंस्टीट्यूट पर कार्रवाई करते हुए फर्जी तरीके से डी फार्मा की डिग्री देने के आरोप में संचालक पुरुषोत्तम ताहिलरमानी को गिरफ्तार किया था। इस दौरान पुलिस को पता चला कि इस इंस्टीट्यूट में दसवीं और बारहवीं के फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर डी फार्मा की डिग्री दी जा रही है। यहां से सैकड़ो लोगों ने फर्जी तरीके से डिग्री लेकर मेडिकल की दुकान शुरू कर दी। गिरफ्तार फार्मासिस्ट के पास से राजस्थान की एक बड़ी यूनिवर्सिटी की डिग्री मिली है। अधिकतर फार्मासिस्ट के पास इसी यूनिवर्सिटी की डिग्री हैं। इसके कारण पुलिस को संदेह है कि यह यूनिवर्सिटी मान्यता प्राप्त नहीं है या इसकी डिग्री फार्मासिस्ट काउंसिल से मान्यता प्राप्त नहीं होगी। इसको देखते हुए ठाणे पुलिस ने इन फार्मासिस्टों की सूची यूनिवर्सिटी के साथ-साथ फार्मासिस्ट काउंसिल के पास भेजी है। रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी, तब तक प्राप्त दस्तावेज की गहन पड़ताल की जा रही है। क्राइम ब्रांच ने अभी तक मुंबई ठाणे, नवीं मुंबई, भिवंडी से 10 से अधिक फार्मासिस्ट गिरफ्तार किए हैं। मुंबई में मेडिकल कालेज और यूनिवर्सिटी के नाम पर फर्जीवाड़ा चल रहा था। इस यूनिवर्सिटी में फर्जी डी-फार्मा, बी-फार्मा, नर्सिंग और मेडिकल लेबोरेटरी की मार्कशीट के साथ ही फार्मेसी स्टोर, नर्सिंग होम और मेडिकल लेबोरेटरी खोलने के लिए फर्जी सर्टिफिकेट जारी किए जा रहे थे। छापेमारी में कारोबार का किंगपिन डाक्टर पुरुषोत्तम ताहिलरमानी क्राइम ब्रांच के हत्थे चढ़ा। ‘वाय चीट इंडिया’ फिल्म की तर्ज पर ही मेडिकल कालेज का चेयरमैन पुरुषोत्तम ताहिलरमानी भी अलग-अलग स्ट्रीम से पास छात्रो को फार्मेसी खोलने के लिए राजस्थान बोर्ड, दिल्ली बोर्ड, अजमेर और उत्तर प्रदेश बोर्ड के फर्जी सर्टिफिकेट बनवाता रहा है।