जयपुर (राजस्थान)। जीवनरक्षक दवाओं की बिक्री में फर्जीवाड़ा सामने आया है। औषधि नियंत्रण विभाग ने छापामारी कर बच्चों को दिमागी बुखार से बचाने के लिए लगाई जाने वाली नकली वैक्सीन का खुलासा किया है। विभाग ने ऐसे 19 इंजेक्शन बरामद किए हैं।
जानकारी अनुसार औषधि विभाग को सूचना मिली कि बाजार में दिमागी बुखार के नकली इंजेक्शन बेचे जा रहे हैं। सूचना के तहत ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक के नेतृत्व में कालवाड़ रोड स्थित कोल्ड स्टोरेज वी-क्योर पर रेड की गई। रेड के दौरान टीम ने यहां से 19 इंजेक्शन बरामद किए, जो कि बच्चों को दिमागी बुखार यानी मेनिनजाइटिस होने पर लगाए जाते हैं। इनकी जांच में टीम ने पाया कि वी-क्योर कोल्ड स्टोरेज को इन टीकों की सप्लाई जोधपुर की दवा फर्म वर्धमान मेडिकल ने की थी। ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक का कहना है कि संगठन की टीम ने जोधपुर की फर्म की भी जांच की। राजस्थान में अधिकृत स्टॉकिस्ट होने के बाद भी ये टीके हरियाणा से मंगाए जा रहे थे। यह टीके बाजार में 5000 रुपए प्रति वायल तक बेचे जाते हंै। नकली दवा में कोई ड्रग केमिकल मौजूद नहीं मिला। ऐसे में माना जा रहा है कि पूरी दवा मरीज को कोई असर नहीं करेगी। यानी एक वायल पर ही करीब 4000 रुपए बचाए जा रहे थे। रेड के दौरान मिले टीकों की कुल कीमत करीब 94 हजार रुपए आंकी गई है। ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक ने बताया कि फिलहाल पूरे मामले की जांच की जा रही है। गौरतलब है कि दिमागी बुखार यानी मेनिनजाइटिस में ज्वर, सिरदर्द, ऐंठन, उल्टी और बेहोशी जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं। रोगी का शरीर निर्बल हो जाता है। वह प्रकाश से डरता है। कुछ रोगियों की गर्दन में जकडऩ आ जाती है। कई रोगी लकवा के भी शिकार हो जाते हैं। ये सभी लक्षण मस्तिष्क की सुरक्षा प्रणाली के क्रियाशील (एक्टिव) होने के कारण प्रकट होते हैं।