मुंबई। वसई-विरार शहर मनपा के अस्पतालों में 6 साल में 25.66 करोड़ रुपये दवाइयों पर खर्च होने की जानकारी सामने आई है। मनपा के एक पूर्व नगरसेवक ने इस खर्च को कागजी बताते हुए मनपा पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। साथ ही मनपा आयुक्त को पत्र लिखकर मामले की जांच करने की मांग की है।
जानकारी के अनुसार, वसई-विरार शहर मनपा के पास वर्तमान में दो अस्पताल हैं। नालासोपारा (पूर्व) विजयनगर सरकारी अस्पताल और वसई (पश्चिम) में सर डीएम पेटिट अस्पताल। साथ ही दो महिला बाल संगोपन व आठ अन्य छोटी डिस्पेंसरी हैं। पूर्व नगरसेवक राज कुमार चौरघे ने आरोप लगाया कि मनपा अस्पतालों के स्टोरों में दवाइयों का अकाल है। मजबूरन मरीजों को बाहर से दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं। ये समस्याएं मुनाफाखोरों ने पैदा की हैं। यही हाल जिला परिषद के दवाखानों का भी है। वसई-विरार की जनता के सामने विडंबना ही कहेंगे कि शहर में गंदगी की वजह से लोगों को तरह-तरह की बीमारी मार रही है, तो अस्पताल जाने के बाद भ्रष्ट अधिकारी अपनी कमाई के लिए इनकी जान का सौदा कर रहे हैं। एमबीबीएस डॉक्टरों और जरूरी चिकित्सा उपकरणों की कमी से मनपा अस्पताल जूझ रहे हैं। मनपा ने 2014 से अब तक 25 करोड़ 35 लाख 66 हजार रुपये दवाइयों पर खर्च बताया है, जबकि हकीकत कुछ और ही है। मनपा ने ये करोड़ों रुपये खर्च सिर्फ कागजों में दिखाए हैं। चौरघे ने बताया कि अगर मनपा करोड़ों रुपये की दवाओं मरीजों के नाम पर खरीद रही है, तो मरीजों को बाहर से क्यों खरीदनी पड़ रही हैं। यहां आए एक मरीज के रिश्तेदार विजय टेलर ने बताया कि मनपा अस्पताल में सिर्फ छोटी-मोटी बीमारियों की दवा दी जाती है। बाकी महंगी दवाइयां बाहर से खरीदनी पड़ती हैं।
 वहीं, इस संबंध में वीवीएमसी की मुख्य चिकित्सा अधिकारी तब्बशुम काझी का कहना है कि अस्पताल में कभी भी दवाइयों की कमी नहीं हुई है। कभी-कभी जरूरी दवाइयां न मिलने पर हम मरीज को बाहर से दवा लेने को कहते हैं। हमारे पास हर वक्त सभी बीमारियों की दवाएं उपलब्ध रहती हैं।