नई दिल्ली। ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (एआईओसीडी) ने दिल्ली में केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के साथ बैठक में ई-कॉमर्स नीति पर चर्चा की। ऑर्गेनाइजेशन ने बताया कि ई-फार्मेसी में एग्रीगेटर की भूमिका, प्रेडटॉरी मूल्य निर्धारण, पर्चे पर दवाओं की ऑनलाइन बिक्री, वितरण प्रणाली में मौजूदा नकदी लेन-देन की भूमिका जैसे मुद्दों को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया। एआईओसीडी ने सुझाव दिया कि यदि सरकार दवाओं की ऑनलाइन बिक्री की अनुमति देती है, तो उसे ई-पर्चे (इलेक्ट्रोनिक प्रिस्क्रिप्शन) के अधीन ही अनिवार्य होना चाहिए। ड्रग एवं कॉस्मैटिक अधिनियम के तहत होम डिलीवरी की भी अनुमति नहीं होनी चाहिए।
बता दें कि एआईओसीडी ने ऑनलाइन फार्मेसी के विरोध में सरकार को ज्ञापन भेजा था। इस पर विचार-विमर्श करने के लिए ही उक्त बैठक बुलाई गई। बैठक में ऑर्गेनाइजेशन ने कहा कि दवा कंपनी का अपनी सूची पर नियंत्रण होना चाहिए और उल्लंघन के मामले में दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए। दवाओं को ऑनलाइन बेचना ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स (डीएंडसी) अधिनियम, 1940 और नियम 1945 के उल्लंघन में है। एआईओसीडी को आश्वासन दिया गया कि इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ चर्चा की जाएगी।
 भारतीय चिकित्सा संघ और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के दिशानिर्देशों के अनुसार, ई-परामर्श के मुद्दे पर भी बैठक के दौरान चर्चा हुई और यह सूचित किया गया कि यह अवैध है। एआईओसीडी ने कहा कि फार्मा उद्योग को छह विशेष नियमों के तहत विनियमित किया जाता है और इसमें मुख्य चुनौती हैं सरकार द्वारा निर्धारित व्यापार मार्जिन। कहा गया कि हमें बहुत कम निर्धारित मार्जिन मिलता है। इस मार्जिन में से हम ऑनलाइन खिलाडिय़ों द्वारा की जा रहीं तर्कहीन छूट की पेशकश पर प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते। वहीं, ये फार्मा व्यापार को भी बदनाम कर रहे हैं। देश में सभी ऑनलाइन फार्मेसी अवैध रूप से काम कर रही हैं। यह भी बताया गया  कि मल्टी ब्रांड रिटेल के तहत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति नहीं है, इस बात पर भी बल दिया गया था कि ऑनलाइन फ़ार्मेसी के विज्ञापन फार्मेसी प्रेक्टिस नियमों (पीपीआर) 2015 के विरुद्ध हैं। ऑनलाइन फार्मेसियों के लिए नियमों का मसौदा तैयार करते समय ड्रग्स की ऑनलाइन बिक्री के संबंध में 2016 में जारी की गई रिपोर्ट पर भी ध्यान नहीं दिया गया है। बैठक में ऑर्गेनाइजेशन की ओर से जनरल सेक्रेट्री राजीव सिंघल और संयुक्त सचिव वैजनाथ जागुष्टे शामिल हुए।