जयपुर। किडनी फेलियर में होम्योपैथी मेडिसिन लेने पर डायलिसिस की जरूरत नहीं पड़ेगी। जिन मरीजों की डायलिसिस शुरू हो चुकी है, जिन्हें क्रॉनिक किडनी डिजीज ग्रेड-5 है, जिनका क्रिएटिनिन 18 तक पहुंच चुका है। इस स्टेज में होम्योपैथी मेडिसिन लेने से क्रिएटिनिन का लेवल घटेगा। वहीं, डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट नहीं करवाना पड़ेगा। एक नए फॉर्मूले के तहत इस बीमारी की दवाइयां तैयार की गई हैं, लेकिन एक्यूट किडनी डिजीज में इन दवाइयों से रिलीफ नहींं मिलेगा। होम्योपैथी डॉक्टर डॉ. विकास कुमार के अनुसार किडनी फेलियर में यूरीन आउटपुट कम, शरीर में सूजन आने व क्रिएटिनिन लेवल बढऩे पर डायलिसिस शुरू हो जाता है। पंद्रह दिन से एक महीने के कोर्स में पेशेंट का क्रिएटिनिन घटना शुरू हो जाता है। पंद्रह दिन बाद एलोपैथी दवाइयां बंद कर दी जाती हैं, क्योंकि एलोपैथी में पोटेशियम का लेवल घटाने व यूरीन आउटपुट बढ़ाने की मेडिसिन दी जाती हैं। साधारण पेशेंट्स की ये दवाइयां बंद की जाती हैं। डायबिटीज और ब्लड प्रेशर पेशेंट्स को इसके साथ एलोपैथी मेडिसिन देते हैं ताकि शुगर व बीपी नहीं बढ़े। किडनी और ज्यादा डैमेज नहीं हो पाए।