नई दिल्ली। प्राइवेट अस्पताल संचालकों के लिए जरूरी खबर है। दिल्ली में प्राइवेट अस्पतालों को अब इलाज से संबंधित अपने रेट डिस्प्ले करने होंगे। जो ऐसा नहीं करेंगे या मरीजों की जान से खिलवाड़ करेंगे उन पर 5 से 10 लाख तक जुर्माना या फिर लाइसेंस कैंसल का प्रावधान किया गया है। दिल्ली सरकार के हेल्थ डिपार्टमेंट ने राजधानी में चल रहे प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी पर लगाम लगाने के मकसद से दिल्ली हेल्थ एक्ट का संशोधित ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इस पर एक्सपर्ट और आम लोगों से सुझाव मांगे जा रहे हैं। सुझाव मिलने के बाद दिल्ली सरकार इस पर नोटिफिकेशन जारी कर सकती है, जो दिल्ली हेल्थ एक्ट के रूप में जाना जाएगा।
संशोधित ड्राफ्ट बिल के अनुसार प्राइवेट अस्पतालों को इलाज के रेट की जानकारी हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लिख कर प्रदर्शित करना होगी। यही नहीं, अस्पतालों को मरीजों के अधिकार के बारे में भी जानकारी देनी होगी। माना जा रहा है कि इस एक्ट के लागू होने के बाद प्राइवेट अस्पतालों के अंदर इलाज से संबंधित मनमानी कम होगी। इस बिल में प्रावधान होगा कि अस्पताल मरीजों को किसी खास दुकान से दवा लेने या मेडिकल डिवाइस खरीदने के लिए दबाव नहीं बना सकें। इमरजेंसी की स्थिति में दिल्ली सरकार द्वारा जारी आदेश पालन अनिवार्य है।
दिल्ली सरकार की वेबसाइट पर यह ड्राफ्ट बिल मौजूद है, जिस पर एक्सपर्ट से राय मांगी गई है। इस बिल के अनुसार अस्पतालों को डिस्चार्ज के दौरान डायग्नोसिस से संबंधित रिपोर्ट, इलाज की जानकारी, डिस्चार्ज के समय मरीज की स्थिति, रिपोर्ट की कॉपी भी देनी होगी। इसके लागू होने पर डेंटल क्लिनिक से लेकर डायग्नोस्टिक लैब, आइवीएफ सेंटर, सहित सभी प्रकार के सेंटरों को रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी हो जाएगा, जहां पर इलाज व स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। वर्तमान में दिल्ली में नर्सिंग होम रजिस्ट्रेशन एक्ट लागू है। इसके तहत डायग्नोस्टिक लैब आदि का रजिस्ट्रेशन नहीं होता है। बिल पास होने के बाद दिल्ली सरकार स्टेट काउंसिल का गठन करेगी। इसमें आयुष व होम्यौपैथी के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। यह काउंसिल इनके मानक तय करेगी और समय-समय पर इसकी जांच भी करेंगे। कमी पाए जाने पर इसके खिलाफ एक्शन भी लेने का अधिकार होगा।