भोपाल। दवा सप्लाई में गड़बड़ी की शिकायतों पर आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने शहर के व्यवसायी अशोक नंदा के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। जानकारी के अनुसार नंदा ने तत्कालीन हेल्थ डायरेक्टर योगीराज शर्मा की मदद से नियम विरुद्ध तरीके से दवा सप्लाई के ऑर्डर हासिल किए। कोलकाता की जिन कंपनियों से नंदा की कंपनियों ने दवा खरीदने के बिल प्रस्तुत किए हैं, उन पतों पर कोई कंपनी ही रजिस्टर्ड नहीं मिली। नंदा की कंपनी बिना सप्लाई के भी सरकारी भुगतान प्राप्त करती रही। नंदा व उससे जुड़े लोगों ने डमी कंपनियां बनाई और शेल कंपनियों से उनके अकाउंट में पैसा ट्रांसफर होता रहा।
पता चला कि अशोक नंदा 2003 तक मालवा ड्रग हाउस मंडीदीप के नाम से दवाओं की सप्लाई करते थे। इसके बाद हिन्दुस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ फॉर्माकान लिमिटेड नाम की नई कंपनी से सप्लाई शुरू की। 2005 से 2010 तक इस कंपनी को स्वास्थ्य विभाग से सबसे ज्यादा दवा सप्लाई के ऑर्डर दिए। जांच एजेंसी का कहना है कि नंदा व उनके साथियों ने नेताम इंडस्ट्रीज, छत्तीसगढ़ फार्मा व नेपच्यून रेमेडीज नाम से 3 डमी कंपनियां बनाईं। इनसे पैसा कोलकाता की शेल कंपनियों में भेजा गया। इसके बाद शेल कंपनियों से पैसा डायवर्ट होकर हिन्दुस्तान फॉर्माकान के अकाउंट में आया। शुरुआती जांच में फिलहाल शेल कंपनियों से ऐसे 21 करोड़ नंदा की कंपनी को मिलने की जानकारी सामने आई है। नंदा की कंपनी में ब्यूरोक्रेट्स व नेताओं के पैसे लगे होने की भी जानकारी मिली है। पूर्व सीएम के एक रिश्तेदार और उनकी पत्नी के नाम से भी नंदा की कंपनी में निवेश होने की बात सामने आई है।
अशोक नंदा का कहना है कि ये शिकायत 2007 की है। इसमें लोकायुक्त ने कार्रवाई की थी। उसके बाद इनकम टैक्स ट्रिब्यूनल से भी मुझे क्लीन चिट मिल चुकी है। आज तक 12 सालों में मुझे कोई नोटिस नहीं दिया गया। अब फिर एक नई जांच एजेंसी ने जांच शुरू कर दी। पहले वे ये तो जानते कि पहले क्या हुआ है? जिन अफसरों और नेताओं के नाम वे ले रहे हैं, उनसे मेरा कोई लेना-देना नहीं है। यदि उनका मेरी कंपनी में निवेश होता तो कोई तो दस्तावेज होते। ये जांच के नाम पर पैसे वसूलने का हथकंडा है। मैं उनके खिलाफ मानहानि का दावा करूंगा।