मुंबई। प्रमुख औषधि कंपनी स्ट्राइड्स फार्मा की दवा एंटासिड रैनीटिडीन की बिक्री के लिए ऑस्ट्रेलियाई औषधि नियामक की मंजूरी मिल गई है। विश्लेषकों का कहना है कि आगामी तिमाहियों में इस मोर्चे पर कहीं अधिक स्पष्टता दिखेगी क्योंकि अधिकतर कंपनियों ने अपने परीक्षण परिणाम नियामक को सौंपे होंगे। बता दें कि रैनीटिडीन दवा में कैंसर पैदा करने वाले एक पदार्थ की मौजूदगी को लेकर अमेरिकी औषधि नियामक यूएसएफडीए द्वारा चिंता जताए जाने के बाद सितंबर में तमाम कंपनियों ने बाजार से अपनी रैनीटिडीन दवा को वापस मंगा लिया था। इन कंपनियों में ब्रिटेन की औषधि कंपनी ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन फार्मा और हैदाराबाद की दवा कंपनी डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज भी शामिल हैं। उसके बाद विभिन्न देशों (अमेरिका, यूरोपीय संघ और भारत सहित) के औषधि नियामकों ने अपने देश में रैनीटिडीन बनाने वाली कंपनियों को अशुद्धि (एन-नाइट्रोसोडिमिथाइलामाइन अथवा एनडीएमए) की जांच करने के लिए कहा था। गौरतलब है कि एनडीएमए को एक पर्यावरणीय अशुद्धि मानी जाती है और वह मांस, डेयरी उत्पाद एवं सब्जियां सहित जल एवं खाद्य पदार्थों में पाई जाती है। हालांकि यूएसएफडीए ने फिलहाल रोगियों को इसका उपयोग बंद करने के लिए नहीं कहा है। आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में कहा था कि रैनीटिडीन की आपूर्ति करने वाली अधिकतर भारतीय कंपनियां पहले ही अपनी रिपोर्ट जमा कर चुकी हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ कंपनियों ने सकारात्मक परिणाम दर्ज किए हैं। जेबी केमिकल्स और एसएमएस फार्मा ने अपनी रैनीटिडीन दवा में एनडीएमएस की स्वीकार्य मात्रा होने की घोषणा की है। टीजीए ऑस्ट्रेलिया ने स्ट्राइड्स फार्मा के 20 से 23 रैनीटिडीन बैच में एमडीएमए की स्वीकार्य मात्रा होने की बात कही थी। जबकि अन्य कंपनियों के मामले में एमडीएमए की मात्रा अधिक थी। जिन कंपनियों की रैनीटिडीन दवा में एमडीएमए की अधिक मात्रा पाई गई, उन्हें टीजीए ऑस्ट्रेलिया द्वारा बैच वापस मंगाने का निर्देश दिया गया है। जीएसके फार्मा के प्रवक्ता ने बताया कि उन्हें परीक्षण के नतीजों का इंतजार है। जीएसके की मूल ब्रिटेन की कंपनी ने परीक्षण के लिए सैंपल भेजे थे। इस बीच, जेबी केमिकल्स ने स्टॉक एक्सचेंज को सूचित किया कि उसके एपीआई वेंडरों ने दवाओं का परीक्षण किया है। स्ट्राइड्स फार्मा की कुल बिक्री में रैनीटिडीन का योगदान 2 फीसदी है जबकि उसके कर बाद मुनाफे में उसका योगदान 6 फीसदी है। डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज के मामले में यह आंकड़ा 1 फीसदी से भी कम है जबकि जेबी केमिकल्स की कुल बिक्री में इसका योगदान करीब 10 फीसदी और कर बाद मुनाफे में योगदान करीब 18 फीसदी है।